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Tuesday, October 07, 2025

अवैध रूप से संचालित चिकित्सा प्रतिष्ठानों के विरुद्ध कार्रवाई अभियान जारी

वाराणसी: जिले में निजी क्षेत्र में संचालित चिकित्सा प्रतिष्ठानों के पंजीयन एवं पंजीयन नवीनीकरण हेतु प्राप्त आवेदनों का परीक्षण कराते हुए 907 चिकित्सा प्रतिष्ठानों को पंजीकृत कर पंजीयन नवीनीकरण किया जा चुका है तथा पूर्व में रिजेक्ट किए गए 109 चिकित्सा प्रतिष्ठानों में से 52 चिकित्सा प्रतिष्ठानों का निरीक्षण करा कर बंद करा दिया गया है। इन चिकित्सा प्रतिष्ठानों पर अग्रिम कार्यवाही यथा मानक अनुरूप न पाए जाने पर सील किया जाना तथा समय से नवीनीकरण न होने की दशा में चेतावनी देते हुए ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करवाकर निरीक्षण उपरांत समस्त संसाधन मानकानुसार पाए जाने पर नवीनीकरण की प्रक्रिया की जा रही है। इसकी जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने दी।


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सीएमओ ने बताया कि शेष रिजेक्ट किए गए आवेदन पत्रों तथा क्षेत्र में यदि कोई अन्य चिकित्सा प्रतिष्ठान बिना पंजीयन नवीनीकरण चल रहा है तो उसके खिलाफ कार्यवाही संबंधित प्रभारी चिकित्सा अधिकारी के स्तर से की जा रही है। उन्होंने बताया कि शासन से प्राप्त निर्देश के क्रम में समस्त चिकित्सा इकाइयों को निर्देशित किया गया है कि वह अपने चिकित्सा प्रतिष्ठान के बाहर आसानी से दृश्यमान जगह पर 5x3 फीट का एक पीला बोर्ड डिस्प्ले करेंगे जिस पर काले रंग से चिकित्सा इकाई का विवरण, उसमें दी जाने वाली सुविधाओं का विवरण तथा किसी प्रकार की असुविधा के लिए संपर्क करने हेतु दूरभाष संख्या अंकित होगी। 

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सीएमओ ने जन सामान्य से अपील की है कि वे पंजीकृत चिकित्सा इकाईयों से ही इलाज करवाएं तथा चिकित्सा इकाई के पंजीयन के संबंध में अद्यतन जानकारी प्राप्त करना उनका अधिकार है। यदि उनके संज्ञान में कोई ऐसा चिकित्सा प्रतिष्ठान आता है जो पंजीकृत नहीं है तो उसके संबंध में जानकारी कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी वाराणसी को अवश्य दें।

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Saturday, September 20, 2025

विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान में लापरवाही क्षम्य नहीं- डीएम सत्येंद्र कुमार

वाराणसी: जनपद में एक अक्टूबर से पूरे माह विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलेगा। अभियान के सफल संचालन की तैयारियों को लेकर शनिवार को रायफल क्लब सभागार में जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार की अध्यक्षता में अंतर्विभागीय समन्वय समिति की बैठक आयोजित हुई। जिलाधिकारी ने पिछले अभियान में पाई गई कमियों को दूर कर कार्य करने का निर्देश दिया। 


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जिलाधिकारी ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देशित किया कि नगर में चिन्हित समस्त हॉट स्पॉट क्षेत्रों के खाली प्लाटों में जल भराव की स्थिति का सर्वेक्षण कराया जाए और जल भराव की स्थिति का सौ फीसदी निराकरण किया जाए। लापरवाही बरतने पर सख्त कार्यवाही की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया कि जहां भी जल भराव व जमाव की स्थिति है, उनकी सूची जल कल विभाग को सूचित किया जाए, जिससे जल जमाव का निराकरण किया जा सके। साथ ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया कि एक टास्क फोर्स गठित की जाए, जिसमें नोडल अधिकारी नियमित रूप से जल भराव की स्थिति का सर्वेक्षण करें और इसकी सूचना विभाग को दें। डेंगू केस की मैपिंग की जाय। 

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उन्होंने कहा कि जिन विभागों को जिम्मेदारियां दी गई हैं, उसका अनुपालन सौ फीसदी पूरा होना चाहिए। इसमें किसी भी शिथिलता और लापरवाही न की जाए। पूर्व से चिन्हित हॉट स्पॉट क्षेत्रों में सघन अभियान चलाते हुए फोगिंग, छिड़काव, स्क्रीनिंग कैंप आदि समेत जागरूकता गतिविधियां संचालित की जाएं। प्रत्येक गांव और वार्ड में नियमित फोगिंग की जाए। कहीं भी जल भराव की स्थिति पैदा न होने पाए। अभियान की शत प्रतिशत मॉनिटरिंग और समय से रिपोर्टिंग की जाए। 

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि एक अक्टूबर से पूरे माह विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जाएगा। इसी बीच दस्तक अभियान भी चलेगा, जिसमें स्वास्थ्यकर्मी घर घर जाकर बुखार, आई०एल०आई० (इन्फ्लुएंजा लाइक इलनेस), टीबी, कुष्ठ रोग, फाइलेरिया, कालाजार, कुपोषित बच्चों समेत डायबिटीज, हाइपरटेंशन, जैसी अन्य गैर संचारी रोगों से ग्रसित रोगियों की सूची तैयार करेंगे। रोगियों के उपचार, प्रबंधन और परामर्श पर भी जोर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इन समस्त कार्यों हेतु क्षेत्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशाओं को पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगी।

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बैठक में अभियान के नोडल अधिकारी डॉ अमित सिंह, एसीएमओ, डिप्टी सीएमओ, जिला पंचायती राज अधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, जिला मलेरिया अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी, अधीक्षक, प्रभारी चिकित्साधिकारी, यूनीसेफ के डीएमसी समेत कृषि, जल कल, नगर विकास, पंचायती राज व अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

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Friday, July 18, 2025

जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित हुई जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक

वाराणसी: जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार की अध्यक्षता और मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल की उपस्थिति में कलेक्ट्रेट सभागार में शनिवार को जिला स्वास्थ्य समिति शासी निकाय की मासिक समीक्षा बैठक आयोजित की गई। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत जिला स्वास्थ्य समिति के निर्देशानुसार 45 संविदा चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है जिनके द्वारा शहरी क्षेत्र के चिकित्सालयों में कार्य किया जाएगा। जिलाधिकारी ने इन संविदा चिकित्सकों को जनप्रतिनिधियों के माध्यम से नियुक्ति पत्र वितरण कराने का निर्देश दिया।


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बैठक में जिलाधिकारी ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत चयनित ब्लाक कार्यक्रम प्रबंधक काशी विद्यापीठ को लंबे समय से अनुपस्थित रहने पर चेतावनी पत्र प्राप्त कराते हुए कार्यवाही कराने का निर्देश दिया। नियमित टीकाकरण के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं और बच्चों के टीकाकरण को लेकर चिन्हित प्रतिरोधी परिवारों को प्रोत्साहित कर टीकाकरण कराया जाए इसके लिए नागरिक सुरक्षा ,प्रभावशाली व्यक्तियों जनप्रतिनिधियों एवं स्थानीय संस्थाओं का सहयोग लिया जाए। हरहुआ, काशी विद्यापीठ, बड़ागांव एवं शहरी क्षेत्र में टीकाकरण की उपलब्धि बढ़ाने का निर्देश दिया। जिलाधिकारी ने जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई ) के अंतर्गत प्रसव केन्दों को बढ़ाने पर बल देते हुए समस्त लाभार्थियों एवं आशा कार्यकर्ताओं को शत प्रतिशत भुगतान सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए।उन्होंने संचारी रोग नियंत्रण अभियान की समीक्षा करते हुए कहा कि सभी विभाग समन्वय के साथ कार्य करें तथा चिन्हित किए गए हॉटस्पॉट क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जाए।

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मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने कहा कि ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में संचालित स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवसों का शत प्रतिशत पर्यवेक्षण किया जाय। आंगनवाडी केन्द्रों पर उपलब्ध वजन मशीन एवं अन्य उपकरणों की जानकारी प्राप्त करते हुए समस्त प्रभारी चिकित्सा अधिकारी आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता शीघ्र सुनिश्चित कराये। इसके साथ ही बैठक में राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण कार्यक्रम सहित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत संचालित कार्यक्रमों की समीक्षा की गई।

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बैठक में सीएमओ डॉ संदीप चौधरी ने पीपीटी के माध्यम से समस्त संचालित कार्यक्रमों की उपलब्धियां के संबंध में जानकारी दी।इस मौके पर समस्त राजकीय चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, एसीएमओ, डिप्टी सीएमओ, जिला कार्यक्रम अधिकारी, डीपीएम, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी समेत डब्ल्यूएचओ एवं यूनिसेफ के प्रतिनिधि अन्य विभागीय अधिकारी एवं स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित रहे।

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Thursday, May 22, 2025

जन्मजात दोष कटे होंठ और तालू का इलाज संभव - सीएमएस

वाराणसी: आशा कार्यकर्ती सुनीता पटेल ने नंदिनी पटेल को प्रसव कराने के लिए पं० दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय, वाराणसी के 50 शैय्यायुक्त महिला चिकित्सालय में लेकर आई, जहाँ पर डा० अर्चना सिंह, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ की टीम द्वारा सफल आपरेशन कर प्रसव कराया गया। नवजात शिशु जन्मजात दोष कटे होंठ और तालू (Congenital deformity cleft lip & cleft palate) से ग्रसित था। इसके इलाज के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत संचालित स्माइल ट्रेन  (Smile Train) कार्यक्रम में निःशुल्क आपरेशन के लिए पंजीकरण जी०एस० मेमोरियल हास्पिटल, महमूरगंज, वाराणसी में कराया गया, इसकी जानकारी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ बृजेश कुमार ने दी।


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सीएमएस ने बताया कि जन्मजात दोष कटे होंठ और तालू  (Congenital deformity cleft lip and cleft palate) एक जन्मजात दोष है जिसमें बच्चों के होंठ या मुंह के तालु में एक दरार या छेद होता है जो बच्चों को खाने, बोलने और सुनने में भी समस्या पैदा कर सकता है। आनुवंशिक सिंड्रोम अथवा गर्भावस्था के दौरान कुछ दवाएं, वायरस या अन्य चीजों के कारण गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में  होंठ और तालु बनाने वाले ऊतक एक साथ ठीक से नहीं जुड़ते हैं। उन्होंने ने बताया कि इसके  लिए सर्जरी की जाती है, जिससे होंठ और तालु में दरार को ठीक किया जा सकता है। सर्जरी के अलावा, वाक थेरेपी और अन्य उपचार भी दिए जा सकते हैं।

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नवजात शिशु के माता-पिता गरीब होने के कारण अपने बच्चे के जन्मजात बीमारी से काफी परेशान थे। नि: शुल्क इलाज की जानकारी पाकर काफी प्रसन्न दिखे। इसमें सहयोग एवं उल्लेखनीय कार्य के लिए सुनीता पटेल आशा कार्यकर्ती को सीएमएस ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित  किया।

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Saturday, May 03, 2025

जिला अधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित हुई जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक

वाराणसी: कलेक्ट्रेट सभागार में शनिवार को जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार की अध्यक्षता में जिला स्वास्थ्य समिति शासी निकाय की मासिक समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में सर्वप्रथम जिला अधिकारी ने विगत माह में आयोजित बैठक में लिए गये निर्णयों के अनुपालन के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की| ग्रामीण क्षेत्र में 69 नए स्वास्थ्य उपकेन्द्र खोले जाने का निर्देश राज्य स्तर से प्राप्त हुआ है, जिसके सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि सभी खंड विकास अधिकारी एवं प्रभारी चिकित्सा अधिकारी संयुक्त रूप से चिन्हित ग्राम सभाओं में सरकारी भवनों को स्वास्थ्य उपकेन्द्र हेतु चिन्हित करें| सरकारी भवनों के अन उपलब्द्धता की स्थित में किराये पर भवन लिए जायें| आशा कार्यकर्तियों का किये गये कार्यों के सापेक्ष शत-प्रतिशत भुगतान अवश्य किया जाये| जिन ब्लाकों में भुगतान अत्यधिक कम हैं उन्हें चेतावनी दिया जाये.



जिला अधिकारी ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत संचालित समस्त गतिविधियों एवं योजनाओं को जन सामान्य तक पहुचाने हेतु निर्देशित किया| चिकित्सालयों में आयुष्मान योजना के अंतर्गत प्राप्त धनराशि का समुचित उपयोग करते हुये रोगियों की सुविधाएं बढ़ाने हेतु निर्देशित किया| नियमित टीकाकरण के अंतर्गत छूटे हुये बच्चों को चिन्हित कर उनके टीकाकरण अवश्य पूर्ण किए जायें| जिले में संचालित 102 राष्ट्रीय एम्बुलेंस सेवा के रेस्पान्स टाइम को चेक किया जाये| राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत बीमारियों से चिन्हित किए गये बच्चों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की गयी| इनके उपचार के सम्बन्ध में निर्देश दिए गये| ब्लाक सेवापुरी में आंगनबाड़ी केन्द्रों पर चिकित्सकों का भ्रमण अवश्य कराया जाये| कोई भी आंगनबाड़ी केंद्र स्वास्थ्य जाँच से वंचित न रहे| उन्होंने टीबी रोगियों के नोटीफिकेशन को लेकर जानकारी प्राप्त की. 


मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने इस बैठक में आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत 70 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों का आयुष्मान वय वंदना कार्ड शत-प्रतिशत बनाने को लेकर निर्देशित किया| अभी भी जनपद में अत्यधिक लाभार्थी बचे हुये हैं जिनका कार्ड नहीं बना है, उन्हें चिन्हित करते हुये आयुष्मान कार्ड अवश्य बनाया जाये.


बैठक में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, जननी सुरक्षा योजना, परिवार कल्याण कार्यक्रम, नियमित टीकाकरण कार्यक्रम समेत अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों की समीक्षा की गई। साथ ही आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए गए। बैठक में मंडलीय कार्यक्रम प्रबंधक ब्रिजेश मिश्रा के द्वारा सहजन के बृक्ष लगाये जाने एवं उसके लाभ के सम्बन्ध में जानकारी दी| सहजन एक चमत्कारी आरोग्य बृक्ष है, इससे सम्बंधित ब्रोसर एवं कलेंडर जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी को भेंट किया गया.

 
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने समस्त कार्यक्रमों और योजनाओं के प्रगति के बारे में जानकारी दी। इस दौरान समस्त जिला चिकित्सालयों के एसआईसी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, सीएचसी-पीएचसी के प्रभारी समेत अन्य चिकित्साधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक,जिला कार्यक्रम अधिकारी, समस्त अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी सहित अन्य जनपदीय अधिकारी तथा यूनिसेफ से डॉ शाहिद, यूएनडीपी की वीसीसीएम रीना वर्मा एवं अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

Friday, May 02, 2025

उत्तर प्रदेश बना वीपीडी सर्विलांस शुरू करने वाला देश का पहला राज्य

वाराणसी: अपने स्वयं के प्लेटफार्म का उपयोग करके वैक्सीन प्रिवेन्टेबिल डिजीजेस (VPDs) की रीयल टाइम डिजिटल सर्विलान्स शूरु करने वाला पहला राज्य बन गया है. 1 मई से उत्तर प्रदेश सरकार ने यूनीफाइड डिजीज सर्विलान्स पोर्टल (यूडीएसपी) पर वैक्सीन प्रिवेन्टेबिल डिजीजेस (वीपीडी) का डिजिटल सर्विलान्स शुरू कर दिया है। यह पहल, रीयल टाइम केस रिपोर्टिंग, सटीक और विश्वसनीय डेटा संग्रह को सक्षम करेगी, जिससे रोगों / प्रकोपों का शीघ्र पता लगाया जा सके और त्वरित गति से प्रभावी रणनीतियां तैयार कर क्रियान्वयन किया जा सके।



वैक्सीन से रोके जा सकने वाली 6 बीमारियों पोलियोमाइलाइटिस (एक्यूट प्लेसीड पैरालिसिस), खसरा, रूबेला, डिप्थीरिया, पर्टूसिस और टिटनेस के लिए केस बेस्ड सर्विलान्स, विश्व स्वास्थ्य संगठन के राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य सहयोग नेटवर्क (एनपीएसएन) के सहयोग से सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के तहत चल रही है। अब, पहली बार, इस निगरानी को यूडीएसपी में इंटीग्रेट किया जाएगा, जो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कोविड-19 के बाद विकसित एक राज्य के स्वामित्व वाला डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है, जिसका उद्देश्य राज्य के लिए एकीकृत निगरानी प्रणाली के रूप में कार्य करना है। यूपी देश का पहला राज्य है जिसने ऐसा प्लेटफ़ॉर्म विकसित किया है, जिसे शुरू में मई 2023 में 12 अधिसूचित रोगों के लिए लॉन्च किया गया था और तब से यह बड़े पैमाने पर क्रियाशील है।


लॉन्च के बारे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि "हमारे यूनीफाइड डिजीज सर्विलान्स पोर्टल (यूडीएसपी) के माध्यम से टीकों से रोकी जा सकने वाले रोगों की डिजिटल निगरानी (सर्विलान्स) से जिलों और राज्य के बीच तीव्र गति से संवाद संभव हो सकेगा, जिससे इन रोगों की शीघ्र पहचान और पब्लिक हेल्थ रिस्पांस की गुणवत्ता में सुधार हो सकेगा। इससे हमें समय पर, सटीक डेटा मिलेगा, जो हमारे टीकाकरण कार्यक्रमों की योजना और निगरानी की बेहतर योजना तैयार कर निगरानी की जा सकेगी, साथ ही टीकाकरण कवरेज में सुधार के लिए त्वरित कार्यवाही की जा सकेगी इसके अतिरिक्त, इस प्लेटफ़ॉर्म का एक प्रमुख लाभ यह है कि हमारे नागरिकों को अपनी लैब रिपोर्ट ऑनलाइन आसानी से मिल जाएगी, ठीक वैसे ही जैसे उन्हें COVID रिपोर्ट मिली थी। इस पहल को सफल बनाने के लिए सभी स्वास्थ्य अधिकारियों और स्टाफ की सक्रिय भागीदारी महत्वपूर्ण है।" इस पोर्टल पर सर सुन्दरलाल चिकित्सालय आईएमएस बीएचयू के ओपीडी में टीका रोधक बीमारी से ग्रसित मरीज को पंजीकृत किया गया.


इस बारे में विस्तार से बताते हुए जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया ने कहा की "इस साल 24 अप्रैल से शुरू हुए विश्व टीकाकरण सप्ताह के तहत हम पूरे प्रदेश में स्कूल-आधारित टीडी टीकाकरण अभियान चला रहे हैं। सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में कक्षा 5 और कक्षा 10 के छात्रों को उनके स्कूलों में मुफ़्त टीडी टीके लगाए जा रहे हैं। इन प्रयासों के माध्यम से, यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई भी बच्चा टीकाकरण के अभाव में सुरक्षित भविष्य से वंचित न रहे। 


“मई 2023 में यूडीएसपी लॉन्च किया गया, उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसके पास 12 अधिसूचित बीमारियों की निगरानी के लिए अपना डिजिटल निगरानी प्लेटफार्म है। इस ABDM-अनुरूप पोर्टल को राष्ट्रीय पोर्टलों के साथ सफलतापूर्वक इंटीग्रेट किया गया है, जिससे केंद्र सरकार के साथ निर्बाध रूप से डेटा साझा करना संभव हो गया है। वीपीडी निगरानी के इंटीग्रेशन के साथ, हमारे पास इन अतिरिक्त छह बीमारियों के लिए रीयल टाइम डेटा होगा, जो हमें कार्यक्रम को और बेहतर बनाने में मदद करेगा।" यूडीएसपी पर वीपीडी निगरानी का इंटीग्रेशन उत्तर प्रदेश के रोग का पता लगाने, रिस्पांस टाइम में सुधार करने और पूरे राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के चल रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

Friday, April 25, 2025

जनपद वाराणसी के मलेरिया उन्मूलन की ओर बढ़ते कदम- सीएमओ

वाराणसी: देश को वर्ष 2030 तक मलेरिया से मुक्त करने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। मलेरिया के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम “Malaria ends with us: Reinvest, Reimagine,Reignite" है। जनपद में इस दिन हॉट स्पॉट क्षेत्रों में बुखार की जांच हेतु व्यापक कैंप आयोजित किए जाएंगे। विद्यालयों में बच्चों को विशेषकर प्रार्थना सभा में मलेरिया रोग से बचाव की जानकारी दी जाएगी। माह अप्रैल में विशेष संचारी रोग नियंत्रण एवं दस्तक अभियान भी चलाया जा रहा है। वेक्टर जनित रोग से बचाव हेतु अंतर्विभागीय गतिविधियां चल रही हैं। इसकी जानकारी *मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी* ने दी।


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सीएमओ ने बताया कि आशा के द्वारा इस दिन घर-घर भ्रमण कर घरों के अंदर मच्छर जनित परिस्थितियों की जांच एवं श्रोत विनस्टीकरण का कार्य किया जायेगा। आबादी के अनुसार मच्छरों का घनत्व जितना कम होगा लोग मलेरिया से उतने ही अधिक सुरक्षित होंगे। इसके चलते ही शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरों के प्रजनन स्रोतों को नष्ट कराया जा रहा है। एंटी लार्वा का छिड़काव व फागिंग भी कराई जा रही है। मलेरिया की पहचान कर मरीज को 14 दिन का उपचार दिया जायेगा। इस तरह जनपद वाराणसी मलेरिया उन्मूलन की तरफ अग्रसर हो रहा है। 

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जिला मलेरिया अधिकारी शरत चंद्र पांडेय ने बताया कि जनपद वाराणसी में मलेरिया उन्मूलन हेतु चार स्तरों पर कार्य हो रहा है। एक्टिव एप्रोच के अंतर्गत आशा द्वारा घर-घर फीवर ट्रैकिंग की जा रही है। पैसिव एप्रोच के तहत ओपीडी में आने वाले समस्त मरीजों की बुखार की जांच की जाती है। मास कॉन्टैक्ट एप्रोच के तहत पॉजिटिव पाए गए मरीज के घर के आस-पास 50 घरों में फीवर ट्रैकिंग की जाती है। चौथा कैंप एप्रोच है जिसके तहत हॉट स्पॉट एरिया में साप्ताहिक कैंप लगाकर बुखार के मरीजों का मलेरिया टेस्ट किया जा रहा है। इन सबका परिणाम हुआ है की वर्ष 2022 में मलेरिया की जांच 1,16,536 थी और पॉजिटिव 69 लोग पाये गये थे वहीँ वर्ष 2023 में 1,67,000 टेस्ट में 23 मलेरिया रोगी पाए गये। वर्ष 2024 में 2,29,000 टेस्ट में मात्र 13 मलेरिया रोगी पाए गये। इस प्रकार एक तरफ जहाँ सर्विलेंस बढ़ाया गया वहीं मलेरिया संक्रमण का प्रतिशत कम होता जा रहा है।

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Sunday, April 13, 2025

गर्भावस्था में होने वाले मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं एवं समाधान

डॉ मनोज कुमार तिवारी, वरिष्ठ परामर्शदाता,  एआरटीसी, एसएस हॉस्पिटल, आईएमएस, बीएचयू, वाराणसी

गर्भावस्था महिलाओं पर महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और जैव रासायनिक प्रभावों के साथ एक अनूठा मातृत्व का अनुभव प्रदान करता है। अधिकांश गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के  बिभिन्न चरणों में होने वाले परिवर्तनों के कारण असुरक्षित महसूस करती हैं जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता हैं। 
एक अनुमान के लगभग 30% गर्भवती महिलाओं को किसी न किसी स्तर पर चिंता का अनुभव होगा। शोध के अनुसार लगभग 15% महिलाएं गर्भावस्था के दौरान अवसाद या चिंता से ग्रस्त होती हैं, गर्भावस्था के दौरान मानसिक स्वास्थ्य की समस्या होना आम बात है, हर 5 गर्भवती में से 1 गर्भवती महिला मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से प्रभावित होती हैं। जन्म देने वाली लगभग 3% महिलाएं प्रसव के बाद प्रसवोत्तर अभिघातजन्य तनाव विकार (PTSD) का अनुभव करती हैं, जबकि उच्च जोखिम वाली आबादी में यह आंकड़ा 15% है। एक अनुमान के अनुसार 7.8% गर्भवती महिलाओं तथा 16.9% प्रसवोत्तर महिलाओं को प्रसवकालीन ओसीडी का अनुभव होगा।



गर्भावस्था के लक्षण:-
# मासिक धर्म का न आना
# स्तनों में दर्द या सूजन
# थकान
# बार-बार पेशाब आना
# मतली और उल्टी (मॉर्निंग सिकनेस)
# हल्का रक्तस्राव
# मूड स्विंग
# सिर दर्द
# खाने की इच्छा होना या खाने से नफ़रत होना
# खूशबू की समझ में बढोतरी
# पीठ के निचले भाग में दर्द
# पैर और टखने में सूजन आना
# हल्का स्पॉटिंग
# कब्ज
# नाक बंद होना
# सीने में जलन
# पेट में बच्चे की हलचल महसूस होना
# चेहरे में चमक आना

ध्यान रखें हर महिला को अलग-अलग तरह के लक्षण महसूस हो सकते हैं, अगर पीरियड्स न आएं, तो प्रारंभिक प्रेग्नेंसी टेस्ट कराना चाहिए और डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए।


गर्भावस्था में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षण:-

# घबराहट- दिल की धड़कन तेज़ होना, बैचेनी, सांस फूलना, कपकपी या अपने को आस-पास से शारीरिक रूप से 'अलग' महसूस करना
# सामान्यीकृत चिंता- सामान्य चिंताओं में क्या मेरा बच्चा सामान्य होगा, श्रम की चिंता, अपने बदलते शरीर की चिंता, भावनात्मक दबाव, रिश्ते में बदलाव, कैरियर आदि शामिल हैं।
# बाध्यकारी व्यवहार
# अचानक मूड में बदलाव
# बिना किसी स्पष्ट कारण के उदास रहना 
# बार - बार रोने का मन करना
# खुशी देने वाली चीजों में भी दिलचस्पी न होना (जैसे- दोस्तों के साथ समय बिताना, व्यायाम करना, भोजन करना इत्यादि)
# जल्दी घबरा जाना 
# तनावग्रस्त रहना
# हर समय थका हुआ महसूस करना
# नींद की समस्या
# लैंगिक क्रिया में रुचि न होना
# अपने बच्चे के साथ अकेले रहने का डर
# खुद को या अपने बच्चे को नुकसान पहुंचाने के विचार आना
# ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
 #सामान्य बातों को याद रखने में कठिनाई होना
# जोखिमपूर्ण व्यवहार करना 
# नशे का उपयोग करना।

अगर ये लक्षण दो सप्ताह से ज़्यादा समय तक बने रहते हैं तो समझें की गर्भवती महिला को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, यथाशीघ्र मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक से मिलकर निदान किया जाना आवश्यक है अन्यथा इसका गर्भवती महिला के साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे के ऊपर भी विपरीत असर पड़ता है।


गर्भावस्था में मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक:-

तनाव:-
गर्भावस्था के दौरान तनाव बढ़ जाता है। तनाव के कारणों में मातृत्व अवकाश लेने से जुड़े मुद्दे, वित्तीय तनाव, रिश्तों की चिंता, स्वास्थ्य की चिंता, भविष्य की चिंता इत्यादि शामिल है।

नकारात्मक अनुभव:-
बांझपन, प्रसवकालीन समस्याएं, गरीबी, भेदभाव, हिंसा, बेरोज़गारी, व अलगाव जैसे अनुभवों से मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है. 
 
व्यक्तित्व:-
कम आत्मसम्मान, अपने जीवन पर कम नियंत्रण महसूस करना, निर्णय लेने में समस्या, अवसाद व तनाव विकार विकसित होने की जोखिम बढ़ा सकता है. 
गर्भपात:-
गर्भपात का इतिहास या पहली तिमाही के बाद गर्भपात होना भी मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

 बीमारी:-
बीमारियां 70% गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करती हैं। मचली, उल्टी, भूख न लगना, थकान बहुत सामान्य हैं। गंभीर बीमारियाँ अवसाद और चिंता के लक्षण पैदा कर सकती है।

गर्भावस्था संबंधी जटिलताएं:-
गर्भावस्था के दौरान जटिलताएँ गर्भवती महिला को नकारात्मक भावनाओं के भंवर में डालती हैं। माँ या बच्चे के लिए जटिलताएँ अक्सर अप्रत्याशित होती हैं और डर, भ्रम, उदासी और गुस्सा पैदा करती हैं।

हार्मोन:-
प्रजनन हार्मोन हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और चिंता, उदासी, क्रोध और चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण पैदा करते हैं हालाँकि कभी-कभी, यह निर्धारित करने में थोड़ी सतर्कता की ज़रूरत होती है कि भावनाएँ हार्मोन के कारण हैं या कुछ और कारण है।

शारीरिक पीड़ा:-
गर्भावस्था के आखिरी तिमाही के दौरान, शारीरिक रूप से सहज रहना मुश्किल होता है। रात में शरीर में दर्द और बार-बार बाथरूम जाने के साथ-साथ नींद में खलल पड़ता है। बच्चे के जन्म के बाद, शुरुआती महीनों में नींद टूटना स्वाभाविक है और नींद की कमी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।

पूर्व मानसिक स्वास्थ्य:-
यदि गर्भवती महिला पहले भी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव किया है, तो उसे प्रसवकालीन मानसिक स्वास्थ्य स्थिति विकसित होने का अधिक जोखिम होता है हालांकि सही उपचार से विकसित होने का जोखिम को कम किया जा सकता है।
अन्य जोखिम कारक:-
# सामाजिक समर्थन की कमी 
# घरेलू हिंसा 
# वित्तीय कठिनाइयां 
# प्रसव-पूर्व और प्रसवोत्तर जटिलताएं 
# आपातकालीन सिजेरियन सेक्शन 
# पिछला गर्भपात या गर्भाधान में कठिनाई 
# अनियोजित गर्भावस्था 
# अनिईच्छित गर्भधारण

गर्भावस्था में मानसिक स्वास्थ्य का प्रबंधन:-
# अपने आप से बहुत ज़्यादा उम्मीद न रखें। आप जो कर सकते हैं, उसके बारे में यथार्थवादी बनें और जब ज़रूरत हो, आराम करें।
# गर्भावस्था में  बड़े बदलाव न करें, जैसे- घर बदलना, नौकरी बदलना, जब तक कि ऐसा करना बहुत जरूरी न हो।
# शारीरिक रूप से सक्रिय रहें । 
# व्यायाम कार्यक्रम शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लें।
# नियमित रूप से स्वस्थ व संतुलित भोजन ले यदि संभव हो तो आहार विशेषज्ञ से संपर्क कर आहार तालिका बनवा लें और यथा संभव उसका पालन करें
# ऐसे लोगों के साथ समय बिताएँ जो आपको तनावमुक्त और अच्छा महसूस कराते हैं।
# तनाव से निपटने के लिए नशीली दवाओं या शराब का उपयोग करने से बचें।


करना चाहिए:-
# अपनी भावनाओं के बारे में विश्वास पात्र मित्र, परिवार के सदस्य, चिकित्सक या स्टाफ नर्स से बात करें
# यदि आप तनावग्रस्त महसूस करते हैं तो  श्वसन व्यायाम करें
# यदि संभव हो तो शारीरिक गतिविधि करें - इससे आपका मूड बेहतर हो सकता है और आपको नींद आने में मदद मिलेगी, भूख अच्छी लगेगी।
# प्रसवपूर्व कक्षाओं में भाग लेने का प्रयास करें ताकि उन लोगों से मिल सकें जो आपके जैसे ही बच्चे की उम्मीद कर रहे हैं।

नहीं करें:-
# अपनी तुलना दूसरों से न करें - हर किसी को गर्भावस्था का अनुभव अलग-अलग तरीके से होता है दूसरों से तुलना कर परेशान न हों
# स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को यह बताने से न डरें कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं - वे आपकी बात सुनने और आपकी सहायता करने के लिए हैं
# बेहतर महसूस करने के लिए शराब, सिगरेट या नशीली दवाओं का सेवन न करें, नशा और ज्यादा बुरा महसूस कराते हैं तथा बच्चे के विकास व स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।
सदैव ध्यान रहे कि गर्भावस्था बीमारी नहीं बल्कि जीवन का एक सुनहरा काल है जो नए जीवन को जन्म देता है। परिवार, समाज एवं राष्ट्र सभी की यह जिम्मेदारी है कि गर्भवती महिलाओं को विशेष देखभाल एवं भावनात्मक सहयोग प्रदान किया जाए ताकि गर्भवती महिला मानसिक समस्याओं से उबर कर स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सके क्योंकि बच्चे ही राष्ट्र के भविष्य होते हैं।

Tuesday, April 08, 2025

बुजुर्गों के 49,891 आयुष्मान कार्ड बनाकर वाराणसी प्रदेश में अव्वल

वाराणसी: 70 वर्ष से अधिक आयु  के बुजुर्ग प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत अनुबंधित सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में आयुष्मान कार्ड से इलाज करा सकते हैं. सरकार प्रधानमंत्री वय वंदन योजना के अंतर्गत 70 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को आयुष्मान कार्ड जारी कराकर मुफ्त इलाज का लाभ दे रही है| यदि कार्ड नहीं बना है तो अस्पताल में इसकी जानकारी देते हुये आयुष्मान कार्ड तुरंत बनवा सकते हैं,  बशर्ते लाभार्थी का मोबाइल नंबर आधार से लिंक हो| इस योजना में अनुबंधित चिकित्सालय बुजुर्गो से आयुष्मान कार्ड होने की जानकारी अवश्य प्राप्त करें तथा उनको इस योजना का लाभ उपलब्द्ध करायें| इसमें कोई अनुबंधित चिकित्सालय लापरवाही ना बरतें| इसकी जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने दी.


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सीएमओ ने बताया कि 49,891 बुजुर्गों के आयुष्मान कार्ड बनाकर प्रदेश में लगातार प्रथम स्थान पर काबिज है| आयुष्मान कार्ड धारक इस योजना के तहत पांच लाख रुपये तक की नि:शुल्क उपचार की सुविधा किसी भी पंजीकृत अस्पताल में भर्ती होकर ले सकते हैं। स्वास्थ्य सेवायें सभी वरिष्ठ नागरिकों तक पहुँचाने के लिए सरकार आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में विशेष ध्यान दे रही है, इसी के तहत 70 वर्ष से अधिक के बुजुर्गों का आयुष्मान कार्ड बनाया जा रहा है, सभी को उत्तम स्वास्थ्य सेवायें मिलें, सरकार की यही मंशा है| उन्होंने बताया कि बुजुर्ग अपना आयुष्मान कार्ड आयुष्मान एप से स्व पंजीकरण के माध्यम से अथवा पंचायत सचिवालय में पंचायत सहायक, आयुष्मान मित्र, जनसेवा केंद्र  या आयुष्मान आरोग्य मंदिर में सीएचओ, कोटेदारों और आशा कार्यकर्ता के माध्यम से भी बनवा सकते हैं। 

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अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं नोडल डॉ. एसएस कनौजिया ने बताया कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को चिकित्सालय में भर्ती होने पर इलाज में लाभ दिया जाता हैं| 23 सितम्बर 2018 से अब तक 4,45,358 मरीजों का इलाज हो चुका है| जिसमें 1,28,552  मरीजों का इलाज सरकारी अस्पतालों में तथा प्राइवेट अस्पतालों में 3,16,806 मरीजों का इलाज हो चुका है.

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Thursday, April 03, 2025

कुरहुआ पंचायत भवन के आस-पास के रिहायसी क्षेत्रों में किया गया ट्रायल

वाराणसी: संचारी रोगों की रोकथाम के मद्देनजर मच्छरों पर नियंत्रण हेतु मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल के निर्देशन में कोल्ड फागिंग तकनीक को समस्त ग्राम पंचायतों और वार्डों में प्रभावी बनाने का कार्य किया जा रहा है। इस क्रम में स्वास्थ्य विभाग ने कोल्ड फागिंग का ट्रायल बुधवार को ब्लाक काशी विद्यापीठ के प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम कुरहुआ में सफलतापूर्वक किया। पंचायत भवन और इसके आस-पास के रिहायसी क्षेत्रों में एडीओ पंचायत  एवं पंचायत सचिव की उपस्थिति में कोल्ड फागिंग का ट्रायल किया गया। विशेषकर डेंगू संचरण काल में जुलाई से नवंबर तक केस बेस्ड एक्टिविटी में भी रोगी के घर के आस-पास 45 घरों में इसका प्रयोग किया जाएगा। आने वाले समय में इस नव तकनीक को कुछ संवेदनशील ग्राम पंचायतों में भी प्रथम स्तर पर प्रयोग किया जाएगा। जिससे मच्छरजनित बीमारियों पर लगाम लगेगी| इसकी जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने दी।


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सीएमओ ने बताया कि इस तकनीक में जहाँ थर्मल फागिंग में डीजल का प्रयोग कीटनाशक के साथ धुआँ बनाने के लिए किया जाता है, वहीँ कोल्ड फागिंग में कीटनाशक का प्रयोग पानी के साथ किया जाता है। कोल्ड फागिंग में धुएँ की जगह मिस्ट बनते हैं। इस नवोन्मेष से मच्छर जनित बीमारियों पर नियंत्रण व बचाव किया जा सकेगा।  

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जिला मलेरिया अधिकारी शरत चंद पाण्डेय ने बताया कि मच्छरों पर नियंत्रण और परंपरागत डीजल आधारित फॉगिंग के  द्वारा  वातावरणीय प्रदूषण के दृष्टिगत जल आधारित कोल्ड फॉगिंग की अवधारणा स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई है। इसके प्रयोग के लिए डेल्टामेथ्रिन 2 फीसदी EW (इमर्जन वाटर)  का प्रयोग पानी में मिलाकर किया जाता है| आने वाले समय में इसका प्रयोग चिकित्सालयों में भी किया जायेगा। संक्रमण काल में हाट स्पाट क्षेत्रों में डेंगू, केस के सापेक्ष निरोधात्मक कार्यवाही में भी इसका प्रयोग किया जाएगा। कुछ संवेदनशील ग्राम पंचायतों और  वार्डो में भी इसका प्रयोग किया जाएगा। धुआँ रहित होने से जहाँ प्रदूषण नहीं होगा, वहीँ फागिंग के मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव भी नहीं पड़ेगा।

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Wednesday, April 02, 2025

मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर होगी पोषण पोटली - सीडीओ

वाराणसी: राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत कम्पोजिट विद्यालय शिवपुर में स्टाम्प, न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल, आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र “दयालु”  एवं भाजपा जिला अध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा सहित मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल की उपस्थिति में मंगलवार को मरीजों को पोषण पोटली का वितरण किया गया| जन प्रतिनिधियों द्वारा जनता से निक्षय मित्र बनकर टीबी मरीजों की मदद करने की अपील की गई.


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पोषण पोटली मुख्य विकास अधिकारी के प्रयास से उपलब्ध हुई थी। मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि फीडिंग इंडिया संस्था द्वारा कुल 1000 पोषण पोटली उपलब्द्ध करायी गई है| यह पोटली जनपद वाराणसी के विभिन्न टीबी यूनिट में इलाज रत मरीजों को दी जा रही है|  यह मरीज  100 दिवसीय सक्रिय क्षय रोग खोजी अभियान के तहत चिन्हित किए गये थे उनमें से आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को पोटली दी जा रही है| पोटली मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर होगी. मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि टीबी का इलाज संभव है, यदि सही समय पर इसका उपचार करवाया जाये और समय से दवाइयों का सेवन किया जाये तथा पोषण का विशेष ध्यान रखा तो क्षय रोगी आसानी से स्वस्थ हो जाते हैं।

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जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ पीयूष राय ने बताया कि वर्त्तमान में ट्यूबरक्लोसिस की स्क्रीनिंग कराये  जाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है और कहा कि इसमें समुदाय की सहभागिता अत्यंत आवश्यक है और इसके आधार पर ही हम एक निश्चित सीमा के अंदर जनपद से ट्यूबरक्लोसिस के मरीजों की संख्या कम कर पायेंगे और जनपद को टीबी मुक्त कर सकेंगे| फीडिंग इंडिया के सहयोग से प्राप्त एक पोटली का वजन लगभग 37.50 किलोग्राम है, जिसमें आटा, चावल, दाल, दलिया, गुड़, मिल्क पाउडर, राजमा, सरसों का तेल, मूंगफली एवं घी मौजूद है, जो मरीजों की कई दिन की आवश्यकता को पूरा करने हेतु पर्याप्त है। 

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कार्यक्रम में फीडिंग इंडिया के नेशनल टीम लीडर एवं स्टेट टीम लीडर, जिला मलेरिया अधिकारी एससी पाण्डेय, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी हरिवंश यादव, बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. अरविन्द पाठक तथा स्कूल के शिक्षकों सहित भारी संख्या में लोग मौजूद थे.

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Sunday, March 30, 2025

अप्रैल से संचारी रोग नियंत्रण और 10 अप्रैल से शुरू होगा दस्तक अभियान, घर-घर जाएंगे स्वास्थ्यकर्मी

वाराणसी: जनपद में संचारी रोगों जैसे डेंगू, मलेरिया, फाइलेरिया आदि मच्छर जनित बीमारियों के प्रभावी नियंत्रण और कार्रवाई के लिए एक से 30 अप्रैल तक विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान और 10 से 30 अप्रैल तक दस्तक अभियान चलाया जाएगा। अभियान के सफलता पूर्वक संचालन के लिए शनिवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी  की अध्यक्षता में जिला टास्क फोर्स की दूसरी बैठक आयोजित की गई। सीएमओ ने बताया कि  स्वास्थ्य विभाग व विभिन्न विभागों के आपसी समन्वय से डेंगू, मलेरिया, टीबी,कुष्ठ, फाइलेरिया आदि संचारी रोगों की रोकथाम के लिए यह अभियान पूरे अप्रैल माह संचालित किया जाएगा। समस्त विभागों के सामंजस्य से ही इस अभियान को शत-प्रतिशत सफल बनाया जा सकता है।


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अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. एसएस कनौजिया ने कहा कि  डेंगू की रोकथाम को लेकर जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग सहित समस्त सहयोगी विभागों को ठोस कदम उठाने होंगे। उन्होंने पंचायती राज एवं ग्राम्य विकास विभाग को निर्देशित किया कि आपसी समन्वय से साफ-सफाई का कार्य, लार्वी साइडल स्प्रे, फॉगिंग, खराब इण्डिया मार्क-2 हैण्डपम्प की मरम्मत एवं उथले हैण्डपम्पों के चिन्हीकरण, नालियों एवं तालाबों की साफ-सफाई एवं मार्गों के खरपतवार/झाड़ियों की कटाई-छंटाई का कार्य कराया जाए। हाई रिस्क वाले गांव व क्षेत्र की विशेष निगरानी की जाए जिससे वेक्टर घनत्व नियंत्रित किया जा सके। 

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बैठक के दौरान सरकारी स्कूलों के साथ ही प्राइवेट स्कूलों के  प्रधानाध्यापक और शिक्षकों को संवेदित किया गया| गर्मी के मौसम में संबंधित रोगों (हीट रिलेटेड इलनेसेज) के विषय में अंतर्विभागीय समन्वय स्थापित करते हुए भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जनमानस हेतु शीतल एवं शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, गर्मी से बचाव हेतु शेलटर्स की व्यवस्था, व्यस्त स्थानों पर मौसम के पूर्वानुमान तथा तापमान का डिस्प्ले, हीट वेव से बचाव हेतु जनमानस में व्यापक प्रचार-प्रसार तथा विद्यालयों में हीट वेव से बचाव हेतु उपायों का विद्यार्थियों में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये. नगर स्वास्थ्य अधिकारी व नगर निगम को निर्देशित किया कि संक्रामक रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए माइकिंग के माध्यम से प्रचार-प्रसार का कार्य कराया जाए। नगरीय क्षेत्रों में झुग्गी झोंपड़ी व स्लम एरिया क्षेत्रों में विशेष रूप से सफाई अभियान चलाया जाए। साफ-सफाई कीटनाशक रसायनों का छिड़काव, फॉगिंग, जलजमाव निकासी, मच्छरों के प्रजनन स्थानों का विनष्टीकरण, ब्रीडिंग न होने देना सोर्स रिडेक्शन का कार्य कराया जाए। 

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उन्होंने बताया कि इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग, नगर विकास, पंचायतीराज, पशुपालन विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग, दिव्यांगजन कल्याण विभाग, कृषि एवं सिंचाई विभाग सहित अन्य विभाग समन्वय बनाकर कार्य करेंगे। स्वास्थ्य विभाग अभियान का नोडल विभाग रहेगा। माइक्रो प्लान के अनुसार अभियान में घर-घर भ्रमण के दौरान आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संक्रमण से बचने व बुखार होने पर “क्या करें, क्या न करें” का प्रत्येक प्रमुख स्थान पर प्रचार-प्रसार  के माध्यम से लोगों को जागरूक करेंगी। इस बैठक में  एसीएमओ जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ  एके मौर्या, बायोलाजिस्ट  डॉ. अमित कुमार सिंह, डब्ल्यूएचओ प्रतिनिधि, यूनिसेफ से डॉ शाहिद व पाथ संस्था से डॉ ओजस्विनी तथा  अन्य सहयोगी विभागों के प्रतिनिधि जुड़े रहे।

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Wednesday, March 26, 2025

टीबी हारेगा, देश जीतेगा- आओ मिलकर टीबी मुक्त भारत बनायें – सीएमओ

वाराणसी: राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता का कार्यक्रम हैI माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आवाहन पर 2025 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य रखा गया है| इस क्रम में बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में पीडियाट्रिक टीबी की पहचान हेतु जनपद स्तरीय टीओटी का आयोजन किया गया| कार्यक्रम का उद्देश्य, बच्चों में टीबी की समय पर पहचान, जांच, निदान एवं उपचार को मजबूत करना है जिससे अधिक से अधिक बच्चों को क्षय रोग से बचाया जा सके| राज्य स्तर से आये ट्रेनर शैलेंद्र उपाध्याय द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया| इस प्रशिक्षण का आयोजन राज्य स्तर से नामित वर्ल्ड हेल्थ पार्टनर संस्था द्वारा किया गया| हम सब मिलकर टीबी मुक्त भारत का निर्माण कर सकते हैं| इसकी जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने दी।


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सीएमओ ने बताया कि पिछले 6 महीने में 630 बच्चे खोजे गये, जिसमें 147 बच्चे उपचार के उपरांत स्वस्थ हो गये हैं, वह अपना जीवन सामान्य रूप से व्यतीत कर रहे हैं उनका परिवार भी खुश है| इसके अलावा 483 बच्चों का इलाज चल रहा है| उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों में टीबी का समय से पता लगाना अभी भी एक बड़ी चुनौती है। बच्चों में टीबी रोकने तथा समय से पहचान कर इलाज शुरू करने हेतु जिले में एक दिवसीय ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स का आयोजन किया गयाI किया। उन्होंने बताया कि टीबी का इलाज संभव है, सही समय पर इसका उपचार करवाया जाये और समय से दवाइयों का सेवन किया जाये तो क्षय रोगी आसानी से स्वस्थ हो सकते हैं।

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जिला क्षय रोग अधिकारी एवं कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ पीयूष राय ने बताया कि प्रशिक्षण में बच्चों में टीबी की पहचान, जांच, निदान एवं उपचार पर विस्तार से जानकारी दी गई| उन्होंने बताया कि अभी कुछ बच्चे टीबी जांच और उपचार से वंचित रह जाते हैं इसका प्रमुख कारण समसामयिक रेफरल की कमी, जागरूकता का अभाव एवं प्रारंभिक लक्षणों की अनदेखी है। उन्होंने यह भी बताया कि समय पर रेफरल प्रणाली को मजबूत करने से इन बच्चों को उचित उपचार मिल सकता है। जिसके लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है और जनपद स्तरीय चिकित्सालय में यह कार्क्रम आयोजित किया जा चुका है।

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इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का संचालन डीपीसी अनीता सिंह द्वारा किया गया। प्रशिक्षण में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉक्टर संजय राय, ब्लॉक स्तरीय राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के मेडिकल ऑफिसर, एकीकृत बाल विकास सेवा विभाग से सीडीपीओ, आंगनबाड़ी सुपरवाइजर एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के डॉ संतोष कुमार सिंह तथा जिला कार्यक्रम अधिकारी व मैनेजर उपस्थित रहेI।

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सफलता की कहानी, जयश्री प्रसाद की जुबानी

वाराणसी: आयुष्मान भारत योजना (प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना) के तहत, कई गरीब और कमजोर परिवारों को मुफ्त और कैशलेस इलाज मिल रहा है, जिससे उनकी जान बच रही है और वे बेहतर जीवन जी पा रहे हैं। आयुष्मान भारत कार्ड योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग बुजुर्गों की बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इसकी जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने दी।


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सीएमओ ने बताया कि पहाडपुर, वाराणसी निवासी 73 वर्षीय जयश्री प्रसाद ने सूर्योदय अस्पताल में उन्नत उपचार के लिए ओपीडी में दिखाया, जहाँ उन्हें आयुष्मान भारत योजना के रूप में बहुत सहायता मिली। इस योजना के तहत एक पात्र लाभार्थी होने के नाते, उन्होंने वहाँ अपना इलाज करवाया।  जयश्री अब पूरी तरह से ठीक हो गये हैं और अपने परिवार में आ गये हैं। योजना का लाभ उनके लिए एक बड़ा वरदान साबित हुआ, जिसके माध्यम से वह खुद को और अपने बच्चों के भविष्य को बचाने में सक्षम हुये। आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज पाकर जयश्री प्रसाद स्वस्थ हुये और परिवार भी खुश हुआ।

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आयुष्मान भारत योजना के नोडल अधिकारी डॉ एस एस कनौजिया ने बताया कि जयश्री प्रसाद  पिछले कुछ वर्षों से हृदय रोग से पीड़ित थे, जिसके कारण उन्हें स्वस्थ रहने के लिए उनके हृदय की जाँच की तुरंत आवश्यकता थी। 73 वर्षीय जयश्री प्रसाद 29 नवम्बर 2024 को सूर्योदय हॉस्पिटल, भोजूवीर में डाक्टर को ओपीडी में दिखाया था,  डाक्टर ने जयश्री प्रसाद को देखने के बाद आईसीयू में भर्ती करने का निर्णय लिया और उपचार शुरू किया। मरीज को एक सप्ताह से बुखार आ रहा था, खांसी के साथ-साथ बलगम,  हाई ग्रेड पैरेक्सिया और पेशाब करने में दिक्कत होती थी, बीपी बढ़ जाता था, साँस लेने में दिक्कत होती थी, दिल कि धड़कन बढ़ जाती थी, इलाज शुरू करने के एक हप्ते के बाद मरीज में काफी सुधार आया। यह मरीज 8 दिसम्बर को डिस्चार्ज हो गया|  जयश्री प्रसाद का इलाज आयुष्मान कार्ड से 96000 में किया गया।

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“जयश्री प्रसाद ने बताया कि मेरे दिल की बीमारी के कारण इस दर्द और पीड़ा के साथ, हर दिन मुझे एक साल जैसा लगता था। मैं अपने बच्चों के भविष्य के बारे में चिंतित था और सोच रहा था कि अगर मैं जीवित नहीं रहा तो उनका क्या होगा। सरकार की यह योजना हमारे जैसे लोगों के लिए एक बड़ा सहारा है और मैं बस यही चाहता हूँ कि अधिक से अधिक लोग अपने परिवार के स्वास्थ्य और धन को बचाने के लिए इस योजना का लाभ उठायें।" 

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Thursday, March 20, 2025

यूपी में वाराणसी ने एन्क्वास सर्टीफिकेशन में किया टॉप- सीएमओ

वाराणसी: प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में सामुदायिक स्तर पर चिकित्सीय व स्वास्थ्य सुविधाओं का लगातार विस्तार और सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। आरोग्यं परमं धनम् को ध्याम में रखते हुए घर के नजदीक ही संचालित किए जा रहे आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के माध्यम से समुदाय में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच बढ़ाई जा रही है। हाल ही में भारत सरकार ने यूपी में एक साथ जनपद के चार शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टेंडर्ड (एनक्वास) सर्टीफाइड किया है, इसके अलावा जनपद के चार और आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (एचडब्ल्यूसी) को भी एनक्वास सर्टीफाइड किया है, जिसमें शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मडुआडीह, पांडेयपुर, टाउन हाल और दुर्गाकुंड तथा ब्लाक चिरईगांव से आयुष्मान आरोग्य मंदिर बराई, ब्लाक चोलापुर से सिंहपुर और अजगरा प्रथम तथा ब्लाक सेवापुरी से लालपुर शामिल हैं| इसकी जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने दी.


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सीएमओ ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में वाराणसी ने प्रथम स्थान प्राप्त कर यूपी में टॉप किया है| जिसमें भारत सरकार ने यूपी में जनपद के एक साथ चार शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों  मडुआडीह, पांडेयपुर, टाउन हाल और दुर्गाकुंड को एनक्वास सर्टीफाइड किया है, जहाँ मडुआडीह और पांडेयपुर को 87 फीसदी, टाउन हाल को 85 फीसदी तथा दुर्गाकुंड को 82 फीसदी अंक प्राप्त हुये हैं| इसके अलावा चार और आयुष्मान आरोग्य मंदिरों को भी एन्क्वास सर्टीफिकेशन प्राप्त हुआ है, जिसमें बरई ने 93 फीसदी, सिंघपुर और अजगरा प्रथम ने 92 फीसदी तथा लालपुर ने 84 फीसदी अंक प्राप्त किए हैं|  इन्हें लेकर अब कुल 29 केन्द्रों को एन्क्वास प्रमाणपत्र मिल चुका है| उन्होंने इन केन्द्रों पर कार्यरत शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों आयुष्मान आरोग्य मंदिर के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों,  एएनएम, आशा संगिनी, समस्त आशा कार्यकताओं और ग्राम प्रधानों को बधाई दी। 

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कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ वाईबी पाठक ने बताया कि आयुष्मान आरोग्य मंदिरों को भारत सरकार की ओर से निर्धारित सात मानकों जैसे केयर इन प्रेग्नेंसी एंड चाइल्ड बर्थ, नियोनेटल एंड इंफेंट हेल्थ सर्विसेज़, चाइल्डहुड एंड एडोलसेंट हेल्थ सर्विसेज़, फैमिली प्लानिंग, मैनेजमेंट ऑफ कम्यूनिकेबल डिजीज, मैनेजमेंट ऑफ सिम्पल इलनेस इनक्लूडिंग माइनर एलीमेंट्स एवं मैनेजमेंट ऑफ नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज़ पर बेहतर कार्य करने के लिए एनक्वास प्रमाणपत्र दिया जाता है।

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मंडलीय क्वालिटी एस्योरेंस कंसल्टेंट डॉ तनवीर सिद्दीकी ने बताया कि वर्तमान में 65 आयुष्मान आरोग्य मंदिर को एन्क्वास  के लिए सर्टीफिकेशन तैयार कर सक्षम पोर्टल पर डाटा और डिटेल अपलोड कर स्टेट लेवल तथा स्टेट लेवल से नेशनल लेवल पर भेज दिया गया है| इस क्रम में जनपद में अब 29  फैसिलिटी सर्टीफाइड हो चुकी हैं| 5 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा 36 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का असेसमेंट हो चुका है| जिसका रेजल्ट आना बाकी है.

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Tuesday, March 18, 2025

सीएमओ ने हेल्थकेयर कॉन्क्लेव लखनऊ में किया प्रतिभाग, बतायीं उपलब्धियां

वाराणसी: लखनऊ में आयोजित यूपी हेल्थकेयर कॉन्क्लेव 2025 में विशेषज्ञों द्वारा प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के तरीकों पर चर्चा की गई| हेल्थ कॉन्क्लेव का आयोजन द इकोनॉमिक टाइम्स द्वारा लखनऊ स्थित ताज महल में किया गया। इस कार्यक्रम का उदघाटन उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने किया| इस कार्यक्रम का मुख्य विषय हेल्थ केयर ट्रांसफारमेशन को बढ़ावा देना   इनोवेशन, एक्सेसिबिलिटी और सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण देखभाल था| कॉन्क्लेव में कॉन्क्लेव नीति निर्माताओं, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, उद्योग जगत के नेताओं, नवोन्मेषकों और विचारकों को एक मंच प्रदान किया गया, जहाँ वे एक साथ आकर ज्ञान साझा किये  और एक स्वस्थ एवं  अधिक समतापूर्ण उत्तर प्रदेश के लिए समाधानों पर चर्चा की। इसकी जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने दी.


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मुख्य अतिथि के रूप में उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ब्रजेश पाठक ने प्रदेश की स्वास्थ्य उपलब्धियों  पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सरकार के प्रयासों से संस्थागत प्रसव बढ़े हैं और मातृ एवं शिशु मृत्यु-दर में कमी आई है। उन्होंने यह भी बताया कि आयुष्मान कार्ड बनाने में उत्तर प्रदेश ने देश में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है। इस अवसर पर प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण व चिकित्सा शिक्षा श्री पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि विगत वर्षों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यापक सुधार करते हुए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्घ कराने में उप्र ने सफलता पाई है। उन्होंने विशेष संचारी रोग नियंत्रण एवं दस्तक अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि वेक्टर जनित रोगों के प्रसार में व्यापक कमी आई है कॉन्क्लेव के अन्य सत्र में प्रतिभाग करते हुए मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश, डॉ. पिंकी जोवल ने प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनाए जा रहे नवाचारों एवं विभाग की उपलब्धियों पर चर्चा की।

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कॉन्क्लेव में सीएमओ डॉ संदीप चौधरी ने यूपी में अग्रणी स्वास्थ्य सेवा समाधान विषय के अंतर्गत  वाराणसी में संचालित मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए वाराणसी मॉडल पर विशेष जानकारी दी| उन्होंने बताया कि जिले में  मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार सुधार हुआ है जहाँ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर वर्ष 2022-23 में 5074 प्रसव  हुये थे वहीँ सेवाओं में सुधार के फलस्वरूप वर्ष 2024-25 में 7905 प्रसव हुये हैं| आयुष्मान आरोग्य मंदिरों  (स्वास्थ्य उपकेन्द्र) में भी वर्ष 2022-23 में 6913 प्रसव  हुये थे वहीँ वर्ष 2024-25 में 8876 प्रसव हुये हैं| मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को लगातार सुदृढ़ करने हेतु नवाचार के रूप में नवजात शिशु मृत्यु-दर को इकाई की संख्या में लाने के लिए मिशन संकल्प कार्यक्रम चलाया जा रहा है, इसके साथ ही मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य इकाई (एमएनसीयू) भी संचालित किए जा रहे हैं| जिले में ह्रदयाघात  परियोजना भी आईसीएमआर के सहयोग से संचालित की जा रही है, जिसके अंतर्गत 100 से अधिक ह्रदय रोगियों की जान बचाई जा चुकी है|.

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Wednesday, March 12, 2025

होली के त्यौहार को लेकर सीएमओ कार्यालय से जारी हुई हेल्थ एड्वाइजरी

वाराणसी: होली के त्यौहार के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सतर्क हैं। चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं के लिए 24 घंटे अलर्ट रहने का निर्देश दिया गया है।



मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी* ने कहा कि होली के पर्व पर दुर्घटना/मार्ग दुर्घटना की घटनाओं में बढ़ोत्तरी होने की संभावना के दृष्टिगत सभी आकस्मिक सेवायें सुव्यवस्थित एवं संचालित रखी जायें। साथ ही संबंधित चिकित्सा इकाई की इमरजेंसी में कुछ बेड अतिरिक्त रूप से आरक्षित रखे जायें। समस्त चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टॉफ को बिना अपरिहार्य कारणों के अवकाश स्वीकृत न किये जाएं। समस्त चिकित्सकीय इकाईयों पर क्रियाशील एबुलेंस की उपलब्धता समयान्तर्गत सुनिश्चित की जाए। चूंकि होली रंगों का पर्व है, जिसमें प्रायः कैमिकल वाले रंगों के उपयोग से नेत्र एवं त्वचा से संबंधित समस्यायें उत्पन्न होती हैं, अतएव समस्त इकाईयों पर नेत्र तथा त्वचा रोग से संबंधित औषधियों की पर्याप्त उपलब्धता तथा त्वचा एवं नेत्र रोग विशेषज्ञों की आन-काल उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाए। जिला प्रशासन से समन्वय कर होली के त्योहार को स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षित रूप से मनाने के लिए समस्त यथाआवश्यक कदम उठायें जाएं।


सीएमओ ने बताया कि होली पर्व पर दुर्घटनाओं की आशंका अधिक रहती है लिहाजा आपातकालीन सेवा के लिए चिकित्सकों, स्टाफ नर्स और स्वास्थ्य कर्मियों की ड्यूटी अपने निर्धारित ड्रेस कोड के साथ एवं समयानुसार लगा दी गई है। सभी स्टाफ चिकित्सालय में उपस्थित रहकर चिकित्सीय कार्य करना सुनिश्चित करें| एंबुलेंस कर्मियों को भी सक्रिय रहने और समय से कॉल रिसीव करने का निर्देश दिया गया है। मण्डलीय चिकित्सालय, जिला चिकित्सालय व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में बेड आरक्षित किये गये हैं। होली में केमिकल युक्त रंगों के प्रयोग से त्वचा झुलसने के साथ ही स्वांश व नेत्र रोग संबंधी मामलों की आशंका अधिक रहती है। इसे देखते हुए सभी स्वास्थ्य इकाइयों पर नेत्र रोग और त्वचा रोग संबंधी पर्याप्त औषधियों के साथ चिकित्सकों को भी सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।
सीएमओं ने जनपदवासियों से अपील किया है कि वह होली पर केमिकल युक्त रंगों के प्रयोग से बचें। 


उन्होंने कहा कि होली में केमिकल युक्त रंगों का प्रयोग आप के लिए घातक हो सकता हैं। होली खेलने के लिए लोग जिन रंगों का अधिकांशतः प्रयोग करते है वह ऐसे रसायनों से तैयार किये जाते है जो लोगों के लिए बेहद ही हानिकारक होते हैं। होली पर जिन लोगों को इस तरह के रंग लगाये जाते है उन्हें त्वचा रोग होने का सर्वाधिक खतरा रहता हैं। अगर ये रंग आंखों में चले जाए तो इनसे आंखों को भी क्षति पहुंच सकती है। कई बार सांस के जरिये ये रंग फेफड़ों में भी जमा हो जाते है जिसके कारण वहां भी संक्रमण हो सकता है। इसलिए सभी को केमिकल युक्त रंगों से होली खेलने से बचना चाहिए। 


इस तरह बरतें सतर्कता- सीएमओ ने कहा कि केमिकल युक्त रंगों से बचाव का बेहतर तरीका है कि होली वाले रोज घर निकलने से पहले पूरे शरीर में तेल अवश्य लगाये। ऐसे कपड़े पहने जिससे शरीर का अधिकांश हिस्सा ढका रहे। इतना करने के बाद भी यदि किसी ने आपकों केमिकल युक्त रंग लगा दिया है और आपके शरीर के किसी हिस्से में जलन अथवा किसी भी तरह की परेशानी हो तो चिकित्सक से तत्काल परामर्श लेना चाहिए।

Monday, March 10, 2025

होली तक चिकित्सकों और कर्मचारियों के अवकाश निरस्त - सीएम योगी

लखनऊ: होली तक सरकारी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सक और कर्मचारियों के अवकाश निरस्त कर दिए गए हैं। हालांकि, अपरिहार्य स्थिति में अवकाश मान्य होगा। सभी अस्पताल प्रभारियों को निर्देश स्वास्थ्य महानिदेशालय से मिले हैं। जरूरी दवाओं के इंतजाम इमरजेंसी में रखने के निर्देश भी दिए गए हैं।



होली में आपात स्थिति से निपटने के लिए अस्पताल तैयार किए जा रहे हैं। साथ ही इमरजेंसी वार्ड में चिकित्सकों की ड्यूटी का रोस्टर तैयार करने के निर्देश मिले हैं। इसमें नेत्र रोग, आर्थोपैडिक, फिजिशियन व सर्जन की ड्यूटी तय हो रही है।


अन्य विशेषज्ञों की जरूरत होने पर उन्हें ऑन कॉल बुलाया जाएगा, ताकि मरीजों को इलाज मिल सके। सीएचसी के इमरजेंसी वार्ड में दवा व रुई-पट़्टी के इंतजाम दुरुस्त रखने के लिए कहा गया है। सीएमओ डॉ. एनबी सिंह ने बताया सीएचसी में चिकित्सकों की ड्यूटी तय करने के साथ दवाओं के इंतजाम किए गए हैं।

Saturday, March 08, 2025

चिकित्साधिकारियों, कर्मचारियों एवं एनजीओ के द्वारा 33 यूनिट ब्लड का किया डोनेशन

वाराणसी: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर  पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डॉ ब्रिजेश कुमार ने बताया कि इस अवसर पर 35 महिलाओं के हीमोग्लोबिन की जाँच की गई है साथ ही अंतर्राष्ट्रीय  महिला दिवस के अवसर पर चिकित्सालय में आने वाली 55  महिलाओं के बीपी एवं शुगर की भी जांच की गई.


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इसके अलावा चिकित्सालय के सेमिनार हाल में सीपीआर कैसे दिया जाये? किसको एवं कब दिया जाये?  इस विषय पर विस्तृत रूप से सभी नर्सिंग स्टाफ के साथ-साथ एएनएम एवं जीएनएम के प्रशिक्षु अभ्यर्थियों को राजकीय चिकित्साधिकारी डॉ शिवशक्ति द्विवेदी द्वारा प्रशिक्षण दिया गया, जिससे नर्सिंग संवर्ग की समस्त महिलाएं लाभान्वित हुई। इस कार्यक्रम में लगभग 105 लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। 

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उक्त अवसर पर चिकित्साधिकारियों, कर्मचारियों एवं एनजीओ के द्वारा 33 यूनिट ब्लड का भी डोनेशन रक्त केंद्र में किया गया। इस अवसर पर चिकित्सालय के चिकित्साधिकारियों, कर्मचारियों सहित भारी संख्या में एनजीओ के लोग उपस्थित रहे।

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बीएचयू के सहयोग से टीकाकरण को मिलेगी गति, अहम बैठक सम्पन्न

वाराणसी: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आईएमएस) में निवारक और सामाजिक चिकित्सा (पीएसएम) विभाग के विभागाध्यक्ष और संकाय तथा जिला टीकाकरण कार्यालय, राज्य टीकाकरण कार्यालय, जेएसआई और यूएनडीपी अधिकारियों के साथ आज एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। चर्चा मुख्य रूप से स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) और यूडब्ल्यूआईएन प्लेटफार्मों पर टीकाकरण डेटा की रिपोर्टिंग को मजबूत करने के साथ-साथ टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाओं (एईएफआई) और वैक्सीन-रोकथाम योग्य रोगों (वीपीडी) के मामलों के लिए रिपोर्टिंग तंत्र में सुधार पर केंद्रित थी। स्वास्थ्य विभाग और आईएमएस बीएचयू के साथ सभी पार्टनर एजेंसियों ने प्रतिभाग कर कुशल टीकाकरण, डेटा रिपोर्टिंग और प्रशिक्षण के मद्देनजर विशेष रणनीति पर चर्चा की.


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इसके अलावा, बीएचयू में नियमित टीकाकरण (आरआई) प्रशिक्षण के लिए एक समर्पित हब की स्थापना पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। इस पहल का उद्देश्य स्वास्थ्य पेशेवरों की क्षमता निर्माण को बढ़ाना, बेहतर टीकाकरण कवरेज और डेटा सटीकता सुनिश्चित करना है। बैठक अत्यधिक प्रभावी एवं महत्वपूर्ण रही, जिसमें प्रमुख कार्य बिंदुओं पर स्वास्थ्य विभाग,   आईएमएस बीएचयू के साथ सभी पार्टनर एजेंसियों की आपसी सहमति बनी। अगले कुछ महीनों में सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं को लागू किया जाएगा, जिससे जनपद स्तर पर टीकाकरण के मानकों को पूरा करेंगे जिससे गुणवत्तापूर्ण टीकाकरण को और मजबूती मिलेगी।

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इस बैठक में राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ अजय गुप्ता, एचओडी पीएसएम विभाग डॉ संगीता कंसल, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ एके मौर्या, स्टेट लीड, जेएसआई, डॉ आशीष मौर्या, अर्बन आरआई प्रोग्राम स्पेशलिस्ट डॉ रीतेश, प्रोग्राम आफिसर जेएसआई डॉ रवि मोहन, यूएनडीपी से डॉ राहुल तथा संकाय के लोग उपस्थित रहे.

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