Wednesday, April 26, 2023
चोलापुर पुलिस ने दो वारंटी ओं को गिरफ्तार कर भेजा जेल
Sunday, April 9, 2023
पुलिस ने युवक की गला रेत कर हुई हत्या का किया खुलासा
Thursday, March 17, 2022
सपा गठबंधन में हार के बाद दरार, जानें किस पार्टी ने दे डाली धमकी साथ छोड़ने की
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा की करारी हार के बाद अब गठबंधन की गांठें खुलने लगी हैं। महानदल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने साफ कह दिया है कि यदि गठबंधन में उन्हें अहमियत नहीं मिला तो किसी और दल के साथ जाने पर भी विचार करेंगे। उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर भी बड़ा बयान दिया है और कहा है कि उन्हें भाजपा ने ही साजिश के तहत सपा में भेजा है।
एक न्यूज चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, केश देव मौर्य ने इस बात को लेकर
नाराजगी जाहिर की है कि चुनाव में उनका इस्तेमाल नहीं किया गया और गठबंधन के दूसरे
दलों की तुलना में बहुत कम सीटें दी गईं। केशव देव मौर्य ने कहा कि उन्हें गठबंधन
में सम्मान नहीं दिया गया और महज 2 सीटें दी गईं, जबकि रालोद, अपना दल कमेरावादी को अधिक सीटें दी
गईं। मौर्य ने कहा कि यदि उन्हें आगे तव्वजो नहीं दी गई तो वह किसी और के साथ जाने
पर भी विचार करेंगे।
वाराणसी आर्य महिला हितकारिणी महापरिषद के पंचवर्षीय चुनाव संपन्न
केशव देव मौर्य ने स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर भी बड़ा बयान दिया
है और कहा कि भाजपा ने एक योजना के तहत उन्हें सपा में भेजा था। इससे पहले भी केशव
ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर इशारों में निशाना साधा और कहा कि जिन नेताओं के पास
अपनी सीट बचाने लायक भी जनाधार नहीं था वह बड़े-बड़े दावे कर रहे थे। उन्होंने यह
भी कहा कि गठबंधन के कुछ नेता खुद तो अति-आत्मविश्वास में थे ही, अखिलेश यादव को भी अति आत्मविश्वास
में रखा।
अखिलेश यादव की चुप्पी के बीच सपा गठबंधन में खटपट, हार के लिए कौन जिम्मेदार?
सपा की हार के बाद से ही पार्टी
नेताओं और गठबंधन के साथियों ने बयानबाजी शुरू कर दी है। इसको देखते हुए पार्टी ने
सोमवार शाम पार्टी नेताओं को सलाह दी कि मीडिया में कोई बयानबाजी ना करें और संगठन
को लेकर किसी भी तरह का सुझाव पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को ही ईमेल करें। चुनाव
परिणाम के बाद अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने भी कहा है कि चुनाव में हार का
मतलब है कि संगठन में कहीं ना कहीं खामी रह गई।
पाक PM इमरान खान गालियों पर उतर आए, पीएम मोदी को भी घसीटा
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Saturday, March 12, 2022
ओमप्रकाश राजभर ने हार पर पिछड़ा वर्ग को अनपढ़, गंवार, नासमझ... क्या-क्या कह डाला
यूपी में विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी गठबंधन के साथ चुनाव लड़े सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर करारी हार को लेकर पहले ईवीएम पर सवाल उठाया तो अब जनता की समझ पर सवालिया निशान लगाते दिख रहे हैं। उन्होंने पिछड़े वर्ग के लोगों को अशिक्षित, गंवार और नासमझ करार दिया है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने यह भी माना कि जनता को समझाने में असफल रहे।
एक टीवी चैनल से बातचीत में उनसे जब हार की वजहों को लेकर सवाल किया गया तो
उन्होंने कहा,
''हम जिस वोट को अपने साथ लाना चाहते थे, उनमें बड़ी अशिक्षा है, अशिक्षा की वजह से उसे शिक्षा की बात समझ नहीं आता है।
नौकरी की बात समझ नहीं आती है। जो कभी बीमार नहीं हुआ या जिस परिवार में कोई
हॉस्पिटल नहीं गया उसे हमारी फ्री इलाज की बात समझ नहीं आई। जो हॉस्पिटल आया था
उसे समझ आया कि सूद पर पैसा लेना पड़ा, जमीन
गिरवी रखनी पड़ी।''
पाक PM इमरान खान गालियों पर उतर आए, पीएम मोदी को भी घसीटा
एक अन्य चैनल से बातचीत में जब उनसे बुलडोजर के
मुद्दे पर बीजेपी को वोट मिलने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ''ये बुलडोजर चलाने वाले लोग, अभी देखा मैंने सोशल मीडिया पर हमारे कुछ बैकवर्ड
क्लास के लोग जो अशिक्षित,
गंवार हम उनको कहते हैं, नामसमझ आप बुलडोजर पर बैठकर नारा लगा रहे हो उतना
समय अपने बच्चे को पढ़ाने में लगा देते। अपने बच्चे को डॉक्टर, मास्टर इंजनीयर बनाने में लगाते।''
गांधी फैमिली इस्तीफा दे सकती है, चुनावों में करारी हार पर CWC की बैठक में बड़े फैसले के संकेत
ओपी राजभर से जब
यह पूछा गया कि जनता ने आपकी बातों को खारिज कर दिया तो उन्होंने कहा, ''जनता मत माने, हमने
तो समझाने का प्रयास किया। क्लास में टीचर समझाता है। 50 को पढ़ाता है, सब
मेरिट तो नहीं पाते। 2-3
फर्स्ट आ जाते हैं, 10-20 फेल हो जाते हैं।'' उन्होंने कहा कि उनकी अखिलेश यादव से बातचीत हुई है
और एक-एक सीट पर समीक्षा की जाएगी कि कहां क्यों हारे और जहां जीते वहां वजह क्या
रही।
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बीजेपी कैसे मुस्लिम बहुल देवबंद में फिर जीत गई, ओवैसी ने की मदद?
भाजपा
ने अपने सहयोगी अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के साथ 273 सीटों पर जीत हासिल करते हुए राजनीतिक रूप से
महत्वपूर्ण यूपी में सत्ता विरोधी लहर को पीछे छोड़ दिया। भगवा पार्टी ने दूसरे
कार्यकाल के लिए जिन सीटों पर जीत हासिल की, उनमें एक सीट ऐसी भी है जो चुनावी पंडितों के बीच चर्चा का विषय बनी रही।
भारत के सबसे प्रभावशाली इस्लामिक मदरसों में से एक, दारुल उलुम देवबंद का घर देवबंद, बीजेपी ने लगातार दूसरी बार जीता है। सहारनपुर
जिले में स्थित,
शहर में 70% मुस्लिम आबादी है, लेकिन निर्वाचन क्षेत्र में 40% मुस्लिम मतदाता हैं। भाजपा के मौजूदा विधायक
बृजेश सिंह ने सपा के अपने प्रतिद्वंद्वी कार्तिकेय राणा को 7,104 चुनावों से हराया।
आइए समझते हैं कि कैसे भगवा पार्टी चुनावी
पंडितों को गलत साबित करते हुए एक बार फिर सीट बरकरार रखने में कामयाब रही।
आजम खान को एक और मामले में हाईकोर्ट से मिली जमानत, अभी भी जेल में रहेंगे समाजवादी पार्टी नेता
ओवैसी की एआईएमआईएम ने भाजपा की
मदद की?
हैदराबाद के सांसद ओवैसी की ऑल इंडिया
मजलिस-ए-इत्तेहाद मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी को अक्सर उनके विरोधियों द्वारा भाजपा की बी टीम, कांग्रेस की सी टीम के रूप में बताकर खारिज कर
जाता है। पार्टी ने आक्रामक रूप से यूपी चुनाव में भाग लिया, 100 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी। इसने 0.43 प्रतिशत वोट शेयर दर्ज किया।
पहली बार आजादी के बाद लखनऊ की मोहनलालगंज सीट पर खिला कमल, जानिए पूरा इतिहास
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सचिव मौलाना
महमूद मदनी के भतीजे उमर मदनी को चुनाव मैदान में उतारा था। देवबंद में, एआईएमआईएम उम्मीदवार उमैर मदनी को 3,500 वोट मिले। बीजेपी और सपा उम्मीदवारों के बीच 7,000 मतों का अंतर था। अगर एआईएमआईएम ने अपना
उम्मीदवार नहीं उतारा होता,
तो यह संभव हो सकता था
कि उन तीन हजार वोटों ने सपा उम्मीदवार को जीतने में मदद की होती। वैसे 2017 के चुनावों में, एआईएमआईएम ने इस सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारा
था।
एक हजार से कम वोटों से जीतकर बने विधायक, तीन सौ से कम वोटों से छह हारे
भाजपा विरोधी वोटों में बंटवारा
2017 के परिणामों को दोहराते हुए, भगवा पार्टी को बीजेपी विरोधी वोटों के विभाजन से लाभ हुआ। बसपा के
उम्मीदवार चौधरी राजेंद्र सिंह और कांग्रेस उम्मीदवार राहत खलील को एक साथ 53,000 से अधिक वोट मिले, जिससे सपा उम्मीदवार राणा को फायदा हो सकता
था।
इसके बाद 2017 में,
भाजपा के बृजेश सिंह ने
1.02 लाख वोट हासिल किए थे, इसका कारण था सपा और बसपा दोनों के मुस्लिम
उम्मीदवारों के वोटों के बीच बंटवारा। बसपा के उम्मीदवार माजिद अली को 72,844 वोट मिले जबकि सपा के माविया अली को 55,385 वोट मिले थे।
लेकिन मुस्लिम बहुल सीट पर, एक गैर-मुस्लिम बसपा उम्मीदवार को इस बार 52,000 से अधिक वोट मिले, यह दर्शाता है कि वोट धार्मिक आधार पर नहीं
डाले गए थे। अगर ऐसा होता तो कांग्रेस प्रत्याशी राहत खलील को और वोट मिल सकते थे।
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Friday, March 11, 2022
UP Election Result: पहली बार आजादी के बाद लखनऊ की मोहनलालगंज सीट पर खिला कमल, जानिए पूरा इतिहास
आजादी के बाद लखनऊ के मोहनलालगंज विधानसभा के चुनाव में पहली बार कमल का फूल खिला है। बीजेपी प्रत्याशी अमरेश रावत ने जीत दर्ज की है जबकि समाजवादी पार्टी ने हैट्रिक लगाने के लिए मौजूदा विधायक अम्ब्रीश सिंह पुष्कर का टिकट काट कर मोहनलालगंज से 2009 में सांसद रह चुकी सुशीला सरोज को टिकट दिया था। लेकिन समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
मोहनलालगंज, सुरक्षित
विधान सभा सीट पर कमल खिलाने के लिए बीजेपी ने कई बार प्रयास किया। कई बार के
चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी दूसरे नम्बर तक पहुंचे लेकिन जीत दर्ज नही कर सके। 1980 में बीजेपी ने मोहनलालगंज में
कमल खिलाने के लिए राजाराम वर्मा को मैदान में उतारा था । लेकिन बीजेपी को तीसरे
स्थान पर ही संतोष करना पड़ा था। 1985 में बीजेपी ने कमल खिलाने के
लिए मास्टर संतराम को प्रत्याशी बनाया लेकिन जीत दर्ज नही कर सके थे। उन्हें तीसरे
स्थान पर संतोष करना पड़ा था। 1991 में भी यहां बीजेपी जीत दर्ज नही कर पाई थी। यहां प्रत्याशी
मोहनलाल उपविजेता रहे थे। 1993 में हुए चुनाव में बीजेपी के विनोद दूसरे नम्बर तक पहुंचे लेकिन
जीत नही मिली थी। सन् 1996 में भी बीजेपी यहां तीसरे स्थान पर थी। जहां से भाजपा ने विनोद
कुमार को मैदान में उतारा था।
2007 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी कन्हई लाल मैदान में थे। लेकिन वह
मात्र 7324 मत पाकर पांचवे स्थान पर रहे। सन् 2012 में भी मोहनलालगंज में कमल नही
खिल पाया था। बीजेपी से चुनाव लड़ने वाली पूर्णिमा वर्मा सातवें स्थान पर रही थी। 2017 में पूरे उत्तर प्रदेश में बीजेपी
की लहर थी। राजधानी की मोहनलालगंज इकलौती सीट थी जिसपर बीजेपी ने जीत नही दर्ज कर
पाई थी। बीजेपी ने अपना प्रत्याशी न खड़ा कर आरके चौधरी को समर्थन दिया था। लेकिन
आरके चौधरी ने कमल के निशान पर चुनाव नही लड़ा था। लोगों का मानन था कि अगर आरके
चौधरी कमल के निशान पर चुनाव लड़ते तो जीत दर्ज कर सकते थे। इस बार बीजेपी
प्रत्याशी ने बड़ी जीत दर्ज कर मोहनलालगंज में आजादी के बाद पहली बार कमल खिला
दिया।
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UPTET Result : यूपी चुनाव परिणाम के बाद अब जल्द जारी किया जा सकता है यूपी शिक्षक पात्रता परीक्षा 2021 का रिजल्ट
UPTET Result 2021 : यूपी चुनाव परिणाम के बाद अब उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) का रिजल्ट भी जल्द जारी किया जा सकता है। प्रशासन ने राज्य में चल चुनाव का देखते हुए आदर्श आचार संहिता को ध्यान रखते हुए टीईटी के परिणाम पर 10 मार्च तक रोक लगा दी थी। लेकिन अब चुनाव परिणाम घोषित हो चुके हैं, ऐसे में किसी भी दिन टीईटी का रिजल्ट जारी किया जा सकता है। रिजल्ट घोषित होने पर परीक्षार्थी रिजल्ट आधिकारिक वेबसाइट updeled.gov.in पर देख सकेंगे।
उल्लेखनीय
है कि शासन में सचिव अनामिका सिंह ने सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण
चतुर्वेदी को भेजे पत्र में लिखा है कि चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता लागू
होने के कारण मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 15 फरवरी को आयोजित स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में टीईटी के परिणाम को स्थगित
करने की संस्तुति की थी। यूपीटीईटी 23 जनवरी 2022 को दो पालियों में आयोजित की गई थी। इसमें पंजीकृत 21,65,179 अभ्यर्थियों में से कुल 18,22,112 सम्मिलित हुए थे। प्राथमिक स्तर के लिए आयोजित
परीक्षा में पंजीकृत 12,91,627
अभ्यर्थियों में से 10,73,302 (83.09) उपस्थित हुए।
UP Election Result 2022: एक हजार से कम वोटों से जीतकर बने विधायक, तीन सौ से कम वोटों से छह हारे
4
स्टेप्स में चेक कर
सकेंगे यूपीटीईटी रिजल्ट:
स्टेप 1-
आधिकारिक वेबसाइट updeled.gov.in पर जाएं.
स्टेप 2-
होमपेज पर दिख रहे UPTET 2021 Result पर क्लिक करें।
स्टेप 3-
नया पेज खुलेगा जिसमें
अपनी लॉग इन डिटेल्स भरें और सब्मिट करें।
स्टेप 4-अब आपकी मोबाइल स्क्रीन पर यूपीटेट रिजल्ट
होगा इसे सेव या डाउनलोड कर सकते हैं।
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UP Election Result 2022: एक हजार से कम वोटों से जीतकर बने विधायक, तीन सौ से कम वोटों से छह हारे
इस
बार एक दर्जन प्रत्याशी ऐसे हैं, जो एक हजार वोटों से भी कम अंतर से हार गए हैं। इनमें छह प्रत्याशी तो ऐसे
हैं जो तीन सौ से भी कम वोटों से हारकर विधायक नहीं बन सके हैं। सबसे कम वोटों से बीजेपी
के अशोक को जीत हासिल हुई है। धामपुर सीट से उन्होंने मात्र 207 वोटों से सपा के नइमुल हसन को हराया है।
कम वोट अंतर से जीत-हार के आंकड़ों की तुलना पिछले 2017 के चुनाव से करें तो उसमें सिर्फ सात ऐसे
प्रत्याशी थे जिन्होंने एक हजार से कम वोटों के अंतर से जीत-हार दर्ज की थी।
वहीं आठ सीटे ऐसी हैं जहां जीत का मार्जिन एक लाख से ज्यादा है। बीजेपी के
साहिबाबाद के सुनील कुमार शर्मा ने सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीतने का रिकार्ड
बनाया है। उन्होंने 2
लाख 14 हजार 835 वोटों से जीत दर्ज की है।
एक हजार से कम अंतर से जीते विधायक
सीट - जीते- हारे- मार्जिन
धामपुर भाजपा के अशोक कु राणा सपा के नइमुल हसन
203
कुर्सी भाजपा के सकेन्द्र
प्रताप सपा के राकेश कुमार
वर्मा 217
चांदपुर सपा के स्वामी ओमवेश भाजपा के कमलेश सैनी
234
नेहटौर भाजपा के ओमकुमार रालोद के मुंशीराम को 258
राम नगर- सपा के फरीद महमूद किदवई भाजपा के शरद कुमार अवस्थी 261
इसौली सपा के मो ताहिर खान भाजपा के ओम प्रकाश पाण्डेय
269
बिलासपुर भाजपा के बलदेव सिंह औलख सपा के अमरजीत सिंह 307
नकुड़- भाजपा के मुकेश चौधरी सपा के धर्म सिंह सैनी
315
बड़ौत भाजपा के कृष्ण पाल मलिक रालोद के जयवीर
315
कटरा भाजपा के वीर विक्रम सिंह सपा के राजेश यादव
357
दिबियापुर सपा के प्रदीप कुमार यादव भाजपा के लखन सिंह राजपूत 473
मुरादाबाद नगर भाजपा के रीतेश कुमार गुप्ता सपा के मो यूसुफ अंसारी 782
जसराना सपा के सचिन यादव भाजपा के मानवेन्द्र
प्रताप सिंह 836
दो लाख से ज्यादा मार्जिन से जीते
साहिबाबाद सीट से
भाजपा के सुनील कु शर्मा ने सपा के अमरपाल शर्मा को 214835 के मार्जिन से
हराया
एक लाख से ज्यादा मार्जिन से
जीते विधायक
सीट जीते प्रत्याशी हारे प्रत्याशी मार्जिन
नोएडा भाजपा के पंकज सिंह सुनील चौधरी, सपा
181513
गोरखपुर शहर योगी
आदित्यनाथ भाजपा शुभावती शुक्ला
सपा 103390
गाजियाबाद
अतुल गर्ग, भाजपा विशाल वर्मा, सपा 105537
मेरठ कैंट भाजपा के अमित अग्रवाल रालोद की
मनीषा अहलावत 118072
आगरा उ. भाजपा- पुरुषोत्तम खण्डेलवाल बसपा - शब्बीर अब्बास
112370
मेहरोनी- भाजपा के मनोहर लाल बसपा के किरन रमेश खटीक- 110451
मथुरा भाजपा के श्रीकांत शर्मा कांग्रेस के प्रदीप माथुर 109803
ललितपुर भाजपा के रामरतन कुशवाहा बसपा के चंद्रभूषण सिंह - 107215
हाथरस भाजपा की अंजुला सिंह माहौर बसपा के संजीव कुमार 100856
UP Election Result 2022 Live : यूपी की बुलंदशहर सीट से BJP के प्रदीप चौधरी जीते
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