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Monday, June 17, 2024

वायनाड छोड़ रायबरेली के हुए राहुल, अब प्रियंका गांधी लड़ेंगी उपचुनाव

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को मीडिया बातचीत में बताया कि कि राहुल गांधी रायबरेली से सांसद बने रहेंगे. तो वहीं उन्होंने उनके वायनाड सीट छोड़ने की घोषणा करने के साथ साथ यह भी कहा कि, प्रियंका गांधी वायनाड से उपचुनाव लड़ेंगी.


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कांग्रेस ने वायनाड से प्रियंका को उतारा

इस दौरान उन्होंने प्रियंका गांधी के एक पुराने स्लोगन 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' का प्रयोग करते हुए कहा कि वह वायनाड से उपचुनाव लड़ेंगी. इस तरह कांग्रेस ने एक ही दिन में दो बड़ी घोषणाएं की हैं. एक तो राहुल गांधी का निर्णय कि वह रायबरेली से ही सांसद बने रहेंगे और दूसरा कि कांग्रेस ने वायनाड उपचुनाव के लिए अपना प्रत्याशी भी उतार दिया है.

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पारिवारिक गढ़ रायबरेली से सांसद बने रहेंगे राहुल गांधी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को वायनाड लोकसभा सीट छोड़ने का फैसला किया और अपने पारिवारिक गढ़ रायबरेली में रहने का फैसला किया. विशेष रूप से, राहुल गांधी ने आम चुनावों में दोनों लोकसभा सीटों - केरल में वायनाड और उत्तर प्रदेश में रायबरेली पर प्रभावशाली अंतर से जीत हासिल की. नई दिल्ली में पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की चर्चा के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस फैसले की घोषणा की गई.

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Wednesday, June 12, 2024

नवीन पटनायक की जगह लेने वाले मोहन माझी पर BJP ने क्यों खेला दांव?

ओडिशा: विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद इसे लेकर कयासों का दौर चलता रहा कि नवीन पटनायक के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा? लगातार 24 साल ओडिशा के सीएम रहे नवीन पटनायक के बाद नए मुख्यमंत्री के लिए धर्मेंद्र प्रधान से लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल और जय बैजयंत पांडा तक, कई नाम चर्चा में रहे. नवीन पटनायक को हराकर सुर्खियों में आए लक्ष्मण बाग, प्रताप सारंगी और कनक वर्धन सिंहदेव के नाम भी मुख्यमंत्री के लिए रेस में शामिल बताए जा रहे थे. करीब हफ्तेभर तक कयासों का दौर चलता रहा.

 


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भुवनेश्वर में 11 जून को भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद अगले मुख्यमंत्री का नाम सामने आया, सभी दावेदार रेस में शामिल ही रह गए और सबको पीछे छोड़ते हुए मोहन चरण माझी सत्ता के शीर्ष तक पहुंच गए. पर्यवेक्षक के रूप में पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद सीएम के लिए मोहन के नाम का ऐलान किया और कहा कि उनके नाम का प्रस्ताव कनक वर्धन सिंहदेव ने किया. भुवनेश्वर में आज नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह हुआ.

नई सरकार के शपथ ग्रहण के साथ ही ओडिशा में सत्ता के शीर्ष का पर्याय बन चुके नवीन पटनायक युग का समापन और 'मोहन राज' का आगाज हो जाएगा. मोहन राज यानि 12 जून को ओडिशा के नए सीएम के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे. इसके साथ ही सूबे में 24 साल लंबे नवीन युग का समापन और एक नए युग का आगाज हो जाएगा. अब चर्चा इसे लेकर भी हो रही है कि तमाम दिग्गजों को दरकिनार कर भाजपा ने मोहन चरण माझी को ही क्यों चुना?

मजबूत आदिवासी चेहरा

मोहन चरण माझी ओडिशा भाजपा का मजबूत आदिवासी चेहरा हैं. ओडिशा आदिवासी बाहुल्य राज्य है और भाजपा यहां झारखंड की तरह गैर आदिवासी सीएम बनाने का रिस्क नहीं लेना चाहती थी. झारखंड में भाजपा ने गैर आदिवासी रघुबर दास को मुख्यमंत्री बनाया था और पार्टी पांच साल बाद सत्ता में वापसी नहीं कर पाई थी. ओडिशा की कुल आबादी चार करोड़ से अधिक है और इसमें करीब एक करोड़ आबादी आदिवासी समाज की है जो करीब 23 फीसदी है. भाजपा ने विधानसभा चुनाव की शुरुआत से भी काफी पहले आदिवासी वोटर्स को टारगेट कर तैयारी शुरू कर दी थी और इसका लाभ पार्टी को हाल के चुनावों में मिला भी. भाजपा की कोशिश है कि पटनायक की पार्टी से छिटक कर साथ आए इस वोटबैंक को सहेजे रखा जाए.

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संघ से करीबी

आदिवासी बाहुल्य राज्य में आदिवासी मुख्यमंत्री ही देना था तो भाजपा के पास तमाम और विकल्प भी थे लेकिन पार्टी ने मोहन को ही चुना. ओडिशा की गद्दी पर मोहन की ताजपोशी के पीछे उनका संघ कनेक्शन भी है. मोहन के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ भी मजबूत संबंध रहे हैं और वह आदिवासी बाहुल्य इलाकों में संघ की गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी निभाते रहे हैं. चार बार के विधायक मोहन चरण माझी ने आदिवासी बेल्ट में भाजपा की जमीन मजबूत करने के लिए रणनीति को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

विधानसभा में मुखर नेता की इमे

मोहन चरण माझी पटनायक सरकार के समय विपक्ष में रहते हुए भाजपा का मुखर चेहरा रहे. माझी ने 2023 में विधानसभा के भीतर सरकार के खिलाफ विरोध जाहिर करते हुए स्पीकर के आसन के सामने पोडियम पर दाल फेंक दी थी. इसके लिए मोहन को सदन से सस्पेंड भी किया गया था. हालांकि, मोहन ने सफाई देते हुए कहा था कि हमने दाल फेंकी नहीं, स्पीकर को भेंट की थी. मोहन चरण माझी ने दाल फेंकी हो या भेंट की हो, विधानसभा के भीतर से जनता के बीच एक संदेश गया. बीजेडी की मेजॉरिटी वाले सदन में वह मुखर विरोध का चेहरा रहे और इसका लाभ उन्हें पार्टी के हाथ सत्ता आने पर सीएम की कुर्सी के रूप में मिलने जा रहा है.

शासन प्रणाली की समझ

मोहन चरण माझी सियासत की निचली इकाई सरपंच के स्तर से मंत्री तक का सफर तय कर चुके हैं. वह चार बार के विधायक हैं. नवीन पटनायक की अगुवाई वाली सरकार में भाजपा के कोटे से मंत्री भी रहे हैं. वह शासन प्रणाली को करीब से समझते हैं और एक सरपंच से लेकर विधायक तक के सामने आने वाली समस्याओं की समझ भी उन्हें है. यह सारी बातें भी नया मुख्यमंत्री चुने जाने के दौरान मोहन के पक्ष में गईं. गौरतलब है कि मोहन साल 2000 के ओडिशा चुनाव में भाजपा के टिकट पर पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे. वह 2004 में भी विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए लेकिन 2009 और 2014 में वह 'सूबे की संसद' विधानसभा में नहीं पहुंच सके थे. वह 2019 में चुनाव जीते और अब 2024 में भी विधायक निर्वाचित हुए हैं.

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संगठन के नेता की इमेज

मोहन चरण माझी की इमेज संगठन के नेता की है. उन्हें ओडिशा भाजपा में संगठन का मजबूत चेहरा माना जाता है. ओडिशा जैसे राज्य में जहां पार्टी पहली बार अपने संख्याबल से सरकार बना रही है, सरकार और संगठन के बीच तालमेल बहुत जरूरी हो जाता है. सरकार और संगठन में मतभेद की संभावनाएं कम से कम करने के लिए भी हो सकता है कि भाजपा नेतृत्व ने संगठन के ही किसी चेहरे को सत्ता का शीर्ष पद सौंपने का निर्णय लिया हो. शासन प्रणाली की समझ और संगठन के शिल्पी वाली इमेज भी मोहन के पक्ष में जाती है.

झारखंड फैक्टर

झारखंड भी आदिवासी बाहुल्य राज्य है और इस राज्य में भी इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं. ओडिशा में गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बनाए जाने की स्थिति में कहीं झारखंड के आदिवासियों में उपेक्षा का संदेश ना चला जाए, भाजपा को कहीं ना कहीं ये डर भी था. भाजपा ने पहले छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय और अब ओडिशा में मोहन चरण माझी को सरकार की कमान सौंप दी है तो उसके पीछे आदिवासी राज्यों की चुनावी राजनीति भी एक अहम फैक्टर हो सकती है. गौरतलब है कि देश की कुल आदिवासी आबादी में ओडिशा की भागीदारी 9.20 फीसदी है.

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आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के साथ ही ओडिशा विधानसभा के चुनाव भी हुए थे. ओडिशा चुनाव में भाजपा को 78 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी. ओडिशा में विधानसभा की कुल 147 सीटें हैं और बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा 74 सीटों का है. यह पहला मौका है जब ओडिशा में भाजपा को पूर्ण बहुमत के साथ सरकार चलाने का जनादेश मिला है. भाजपा पहले भी ओडिशा की सत्ता में रही है लेकिन नवीन पटनायक की अगुवाई वाली बीजू जनता दल के साथ गठबंधन साझीदार के तौर पर.

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Monday, June 10, 2024

मोदी सरकार 3.0 में 10 मंत्रियों के साथ टॉप पर यूपी

नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली है। पीएम मोदी के साथ ही 72 मंत्रियों ने शपथ ली। मोदी सरकार 3.0 में हर राज्य का खास ध्यान रखा गया है। मंत्रिमंडल में 24 राज्यों का प्रतिनिधित्व मिला है। यूपी से 10 चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। इसके बाद बिहार से सात लोगों को मंत्री बनाया गया है। मध्यप्रदेश से मंत्री बनने वालों में छह नामों को शामिल किया गया है। गुजरात से अमित शाह, मनसुख मांडविया समेत 4 लोगों को मंत्रिमंडल में जगह मिली है। केरल से पहली बार सांसद चुने गए सुरेश गोपी को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। एक नजर डालते हैं किस राज्य से कौन मंत्री बना है।


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यूपी से कौन-कौन बना मंत्री

क्रम संख्या

नाम

संसदीय क्षेत्र

1.

राजनाथ सिंह

लखनऊ

2.

एसपी सिंह बघेल

आगरा

3.

कमलेश पासवान

बांसगांव

4

अनुप्रिया पटेल

मिर्जापुर

5

पंकज चौधरी

महाराजगंज

6

कीर्तिवर्धन सिंह

गोंडा

7

जितिन प्रसाद

पीलीभीत

8

बीएल वर्मा

राज्यसभा

9

हरदीप पुरी

राज्यसभा

10.

जयंत चौधरी

राज्यसभा


बिहार से मंत्री

क्रम संख्या

मंत्री

संसदीय क्षेत्र

1.

गिरिराज सिंह

बेगूसराय

2

नित्यानंद राय

उजियारपुर

3

चिराग पासवान

हाजीपुर

4

राजीव रंजन सिंह

मुंगेर

5

जीतन राम मांझी

गया

6

राजभूषण चौधरी

मुजफ्फरपुर

7

सतीश दुबे

राज्यसभा

8

रामनाथ ठाकुर

राज्यसभा


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मध्यप्रदेश से मंत्री

क्रम संख्या

नाम

संसदीय क्षेत्र

1

शिवराज सिंह चौहान

विदिशा

2

डॉ. वीरेंद्र कुमार

टीकमगढ़

3

ज्योतिरादित्य सिंधिया

गुना

4

दुर्गादास उईके

बैतूल

5

सावित्री ठाकुर

धार

6.

एल मुरुगन

राज्यसभा


राजस्थान से मंत्री

क्रम संख्या

नाम

संसदीय क्षेत्र

1

भूपेंद्र यादव

अलवर

2

गजेंद्र शेखावत

जोधपुर

3

अर्जुन राम मेघवाल

बीकानेर

4

भागीरथ चौधरी

अजमेर


गुजरात

क्रम संख्या

नाम

संसदीय क्षेत्र

1

अमित शाह

गांधी नगर

2

सीआर पाटिल

नवसारी

3

मनसुख मांडविया

पोरबंदर

4

निमूबेन बम्भानिया

भावनगर


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महाराष्ट्र

क्रम संख्या

मंत्री

संसदीय क्षेत्र

1.

नितिन गडकरी

नागपुर

2

पीयूष गोयल

मुंबई नॉर्थ

3

प्रताप राव जाधव

बुलढाणा

4

रामदास आठवले

राज्यसभा सांसद

5

रक्षा खड़से

रावेर

6

मुरलीधर मोहोल

पुणे


आंध्र प्रदेश

क्रम संख्या

मंत्री

संसदीय क्षेत्र

1.

राम मोहन नायडू

श्रीकाकुलम

2

डॉ. पी. चंद्रशेखर

गुंटूर

3

बीआर श्रीनिवास वर्मा

नरसापुरम


ओडिशा

क्रम संख्या

मंत्री

संसदीय क्षेत्र

1.

जुएल ओरावं

सुंदरगढ़

2

धर्मेंद्र प्रधान

संबलपुर

3

अश्विनी वैष्णव

राज्यसभा सांसद

कर्नाटक

क्रम संख्या

मंत्री

संसदीय क्षेत्र

1.

प्रह्लाद जोशी

धारवाड़

2

एचडी कुमारस्वामी

मांड्या

3

शोभा करांदलाजे

बेंगलुरु नॉर्थ

4.

वी सोमन्ना

तुमकुर

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पश्चिम बंगाल

क्रम संख्या

मंत्री

संसदीय क्षेत्र

1.

शांतनु ठाकुर

बनगांव

2

सुकांत मजूमदार

बेलूरघाट

असम

क्रम संख्या

मंत्री

संसदीय क्षेत्र

1.

सर्वानंद सोनोवाल

राज्यसभा

2

पबित्र मार्गरेटा

राज्यसभा

हरियाणा

क्रम संख्या

मंत्री

संसदीय क्षेत्र

1.

राव इंद्रजीत सिंह

गुड़गांव

2

कृष्णपाल गुर्जर

फरीदाबाद

तेलंगाना

क्रम संख्या

मंत्री

संसदीय क्षेत्र

1.

जी किशन रेड्डी

सिकंदराबाद

2

बंदी संजय कुमार

करीमनगर

केरल

क्रम संख्या

मंत्री

संसदीय क्षेत्र

1.

सुरेश गोपी

त्रिशूर

2

जॉर्ज कुरियन

किसी भी सदन के सदस्य नहीं


हरियाणा

क्रम संख्या

मंत्री

संसदीय क्षेत्र

1.

मनोहर लाल खट्टर

करनाल


दिल्ली

क्रम संख्या

मंत्री

संसदीय क्षेत्र

1.

हर्ष मल्होत्रा

पूर्वी दिल्ली


उत्तराखंड

क्रम संख्या

मंत्री

संसदीय क्षेत्र

1.

अजय टमटा

अल्मोड़ा


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अरुणाचल प्रदेश

क्रम संख्या

मंत्री

संसदीय क्षेत्र

1.

किरेन रिजिजू

अरुणाचल पश्चिम

हिमाचल प्रदेश

क्रम संख्या

मंत्री

संसदीय क्षेत्र

1.

जेपी नड्डा

राज्यसभा सांसद


गोवा

क्रम संख्या

मंत्री

संसदीय क्षेत्र

1.

श्रीपाद येसो नाइक

गोवा नॉर्थ


तमिलनाडु

क्रम संख्या

मंत्री

संसदीय क्षेत्र

1.

निर्मला सीतारमण

राज्यसभा

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