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Sunday, May 04, 2025

एबीवीपी ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सत्र 2024-25 के लिए संपूर्ण शोध प्रवेश प्रक्रिया की जांच की मांग की

वाराणसी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में सत्र 2024-25 की शोध प्रवेश प्रक्रिया पहले दिन से ही विवादों के घेरे में है। इसको ले कर विभिन्न अवसरों पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं विभिन्न विद्यार्थी समूहों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष प्रत्यावेदन एवं आंदोलन कर अपनी मांगो को रखा है।


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यह सर्वविदित है की वर्तमान समय में कार्यवाहक कुलपति प्रो. संजय कुमार के नेतृत्व में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार एवं प्रशासनिक अराजकता का एक केंद्र बन चुका है।इसी कारण से वर्तमान समय में चल रही शोध प्रवेश प्रक्रिया पर उठे सवालों के मध्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा विश्वविद्यालय को निर्देशित कर सम्पूर्ण प्रक्रिया पर रोक लगानी पड़ी है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में EWS सीट पर शोध प्रवेश में धांधली एवं नियम विरूद्ध एक अभ्यर्थी को शोध प्रवेश देने के विरूद्ध अभाविप काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के इकाई मंत्री एवं हिन्दी विभाग के छात्र भास्करादित्य त्रिपाठी पिछले 15 दिनों से कुलपति आवास के समक्ष धरना दे रहे हैं।

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हिन्दी विभाग के प्रकरण में शोध प्रवेश एवं UACB के विभिन्न दस्तावेजों का अध्ययन करने के पश्चात यह स्पष्ट है की विश्वविद्यालय प्रशासन एवं हिन्दी विभाग ने एक अभ्यर्थी को अनुचित लाभ पहुँचाने के लिए सभी नियमों को ताक पर रख कर न सिर्फ उसका प्रवेश लिया बल्कि अपने ही विश्वविद्यालय की UACB के फैसले को भी बार बार पलटा। इन सभी तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट है की हिन्दी विभाग के शोध प्रवेश में बड़े स्तर पर धांधली हुई है जिसमें कार्यवाहक कुलपति, कुलसचिव,अपर परीक्षा नियंत्रक, परीक्षा नियंत्रक समेत हिन्दी विभाग के विभिन्न शिक्षकों की भूमिका संदिग्ध है। जिन्होंने न सिर्फ श्री भास्करादित्य त्रिपाठी को नियम संगत शोध प्रवेश से वंचित रखा अपितु उनके एवं अभाविप के विरूद्ध दुर्भावना से ग्रसित हो कर विभिन्न कुंठित राजनीतिक संगठनों एवं अराजक तत्वों के साथ इस शैक्षणिक भ्रष्टाचार को अंजाम देने की साजिश रची। इस साजिश से उपजे घटनाक्रमों के कारण ना सिर्फ विश्वविद्यालय का शैक्षणिक वातावरण प्रभावित हुआ बल्कि महामना द्वारा स्थापित इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंची जिसका दोषी पूर्ण रूप से वर्तमान विश्वविद्यालय प्रशासन है।

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सूचना का अधिकार(RTI) क़ानून के माध्यम से प्राप्त जानकारी के अनुसार यह सिद्ध होता है की दिनांक 15 अप्रैल को ही विश्वविद्यालय की UACB ने सभी प्रत्यावेदनों, नियमावली का अध्ययन कर श्री भास्करादित्य त्रिपाठी को हिन्दी विभाग में EWS सीट पर प्रवेश हेतु अनुशंसा की थी, परन्तु कार्यवाहक कुलपति प्रो. संजय कुमार ने UACB की कार्यवाई पर अपनी स्वीकृति न देते हुए उस बैठक के निर्णय को दबा दिया एवं इसके पश्चात इसे पलटने हेतु कई प्रयास किये।इस दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन ने डॉ. अखिलेन्द्र पाण्डेय की समिति का गठन किया,जिसमें एक बार पुनः श्री भास्करादित्य त्रिपाठी के दावे को नियम संगत सही माना गया पंरतु उस समिति की रिपोर्ट भी कार्यवाहक कुलपति ने साजिशन स्वीकृत नहीं की एवं उनके निर्देश पर पूरी रिपोर्ट आज तक विश्वविद्यालय प्रशासन सार्वजनिक नहीं कर रहा है।

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इन सभी घटनाक्रमों से यह सिद्ध होता है की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता श्री भास्करादित्य त्रिपाठी से व्यक्तिगत एवं राजनीतिक द्वेष के कारण कार्यवाहक कुलपति प्रो. संजय कुमार एवं विश्वविद्यालय के बड़े अधिकारियों के निर्देशन में एक बड़े शैक्षणिक भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है।विभिन्न दस्तावेजों के से यह सिद्ध होता है की कार्यवाहक कुलपति प्रो. संजय कुमार व्यक्तिगत द्वेष के कारण इस प्रकरण के पहले दिन से ही श्री भास्करादित्य त्रिपाठी के विरूद्ध साजिश रच रहे थे। 

जिसके विरूद्ध श्री भास्करादित्य त्रिपाठी पिछले 15 दिनों से 45° की तेज धूप में भी न्याय की मांग कर रहे हैं। इन सभी घटनाक्रम, पत्रावली से यह स्पष्ट है की कार्यवाहक कुलपति के निर्देश एवं हस्तक्षेप के कारण श्री भास्करादित्य त्रिपाठी को नियम संगत होने के बावजूद अभी तक शोध प्रवेश से वंचित रखा गया है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शोध प्रवेश में हो रही धांधली की जाँच के संबंध में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा एक जाँच समिति का गठन कर इस सम्पूर्ण मामले की जाँच की बात कही गई है। इस संबंध में अभाविप भी जाँच समिति के समक्ष हिन्दी विभाग समेत अन्य विभागों के शोध प्रवेश में हुई धांधली से संबंधित अपना प्रत्यावेदन प्रस्तुत करेगी।

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एबीवीपी इस संबंध में मांग की

  • काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की वर्ष 2024-25 की सम्पूर्ण शोध प्रवेश प्रक्रिया की जाँच हो।
  • शोध प्रवेश प्रक्रिया में गलत सत्यापन करने, आरक्षण नियमों की अनदेखी आदि करने वाले शिक्षकों एवं अधिकारियों पर कार्यवाई सुनिश्चित की जाए।
  • काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सत्र 2024-25 की शोध प्रवेश प्रक्रिया में हुई धांधली एवं इसका UGC द्वारा संज्ञान लेने पर इस सम्पूर्ण अनियमितता के निदेशक कार्यवाहक कुलपति प्रो. संजय कुमार, कुलसचिव एवं सम्पूर्ण UACB अपने पद से इस्तीफा दें।
  • जो भी शिक्षक इस पूरी शोध प्रवेश प्रक्रिया में सलिंप्त रहे हैं उनको यूजीसी की जाँच समिति अपनी जाँच प्रक्रिया का हिस्सा न बनाए।
  • अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद,काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सत्र 2024-25 की शोध प्रवेश धांधली के दोषियों पर कार्यवाही होने एवं पीड़ित विद्यार्थियों कों न्याय मिलने तक सड़क से ले कर न्यायालय एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तक आवाज उठाएगी।

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