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Tuesday, May 06, 2025

DRDO ने MIGM का सफल परीक्षण किया, नौसेना में शामिल होने के लिए तैयार

नई दिल्ली: पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना ने मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MIGM) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. यह परीक्षण लड़ाकू फायरिंग (कम विस्फोटक के साथ) किया गया।


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आधिकारिक बयान में कहा गया कि एमआईजीएम को स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है. यह प्रणाली नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला, विशाखापट्टनम द्वारा अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं - उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला, पुणे और टर्मिनल बैलिस्टिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला, चंडीगढ़ के सहयोग से विकसित पानी के नीचे की नौसेना माइन है।

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बयान के मुताबिक एमआईजीएम को आधुनिक स्टील्थ जहाजों और पनडुब्बियों के खिलाफ भारतीय नौसेना की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है. भारत डायनेमिक्स लिमिटेड, विशाखापट्टनम और अपोलो माइक्रोसिस्टम्स लिमिटेड, हैदराबाद इस प्रणाली के उत्पादन भागीदार हैं.डीआरडीओ, भारतीय नौसेना और उद्योग की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह प्रणाली भारतीय नौसेना की समुद्री युद्ध क्षमताओं को और बढ़ाएगी।

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रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत ने कहा, इस सफल परीक्षण के साथ यह प्रणाली अब भारतीय नौसेना में शामिल होने के लिए तैयार है। एमआईजीएम आधुनिक समुद्री बारूदी सुरंग है, जो खतरों को पता लगाकर समुद्र में जहाजों या पनडुब्बियों को निशाना बना सकती है. यह उन्नत बारूदी सुरंग एक साथ कई सेंसर और ट्रिगर मैकेनिज्म का इस्तेमाल करती है. इस कारण इससे बचना मुश्किल होता है।

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