मुंबई: अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के भाई इकबाल कासकर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज मामले में उन्हें जमानत मिल गई है. ये मामला 2017 में दर्ज जबरन वसूली की शिकायत पर आधारित था।
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इकबाल कासकर के खिलाफ अंतिम मामला लंबित था और अब अदालत द्वारा जमानत दिए जाने के बाद, उनके जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है. गौरतलब है कि 26 अप्रैल को ही कासकर को वसूली के एक मामले में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत अदालत ने बरी कर दिया था।
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कासकर के वकील ताबिश मुमान का कहना है कि ईडी द्वारा अभी तक किसी भी गवाह से अदालत में पूछताछ नहीं की गई है. उन्होंने ये भी दावा किया कि कथित वित्तीय अनियमितताओं की राशि एक करोड़ रुपए से कम होने के कारण, ये अपराध पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) की धारा 45 के तहत जमानत योग्य है. हालांकि, विशेष पीएमएलए अदालत ने 26 जून 2024 को इस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी।
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बिना सुनवाई के जेल में डालना अधिकारों का उल्लंघन है अदालत में इकबाल कासकर की तरफ से ये दलील दी गई कि वह पहले ही एक ऐसे अपराध के लिए तीन साल हिरासत में बिता चुके हैं, जिसके लिए तीन साल की ही सजा का प्रावधान है. बिना किसी सुनवाई के उन्हें लगातार जेल में रखना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
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ईडी पर ये भी आरोप लगाया गया कि वे इकबाल कासकर को जबरन वसूली गई नकदी, फ्लैट या कथित साजिश से जोड़ने वाला कोई ठोस सबूत पेश करने में विफल रही. जांच एजेंसी कासकर के खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रही, जिसके चलते विशेष अदालत ने उन्हें जमानत दे दी।
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न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की एकल बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि जब अभियोजन पक्ष मूल अपराध में आरोपी के अपराध को साबित करने में विफल रहता है, तो आरोपी को पीएमएलए अपराध में जमानत दी जानी चाहिए. अदालत ने कासकर को जमानत देते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि अभियोजन पक्ष को अपराध साबित करना होगा।
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