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Thursday, March 2, 2023

गर्भावस्था में खून की कमी हो सकती है खतरनाक

वाराणसी: गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपने स्वास्थ का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान खून की कमी से अधिकांश महिलाएं जूझती हैं। समय से जांच और उपचार का न होना सिर्फ गर्भवती ही नहीं उसके गर्भस्थ शिशु के लिए भी जान का खतरा बन सकता है।


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यह कहना है पं. दीनदयाल चिकित्सालय के एमसीएच विंग की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. आरती दिव्या का। वह बताती हैं कि नेशनल फेमली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) -5 की वर्ष 2020-21 की रिपोर्ट के अनुसार वाराणसी में गर्भवती महिलाओं के एनीमिक होने का प्रतिशत 17.3 है जबकि वर्ष 2015-16 में एनएफएचएस -4 की रिपोर्ट में 50.8 प्रतिशत गर्भवती खून के कमी की समस्या से पीड़ित थीं। डा. आरती के अनुसार गर्भधारण करने के साथ ही महिलाओं को तमाम तरह के शारीरिक बदलाव और शारीरिक परेशानियों से जूझना पड़ता है। जी-मिचलाना, उल्टी आना तो कभी चक्कर आने जैसी परेशानियां का उन्हें सामना करना पड़ता है। इसके साथ गर्भावस्था में कुछ महिलाओं को एनीमिया की समस्या भी हो जाती है। 

वह बताती हैं कि एमसीएच विंग में हर रोज होने वाली उनकी ओपीडी में आने वाली गर्भवती महिलाओं में चार-पांच को  खून के कमी की समस्या होती है। दवाओं के साथ ही संतुलित आहार से उनकी यह समस्या प्रसवपूर्व ही दूर हो जाती है। जो महिलाएं इस दौरान लापरवाही करती हैं प्रसव के दौरान सिर्फ उन्हें ही नहीं उनके होने वाले शिशु को भी खतरा रहता है। वह बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती में 11 प्रशित से अधिक हीमोग्लोबिन को सामान्य माना जाता है। गर्भवती में यदि इससे कम हीमोग्लोबिन है तो उसे एनीमिक माना जाता है।

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क्या है एनीमिया - डॉ. आरती बताती हैं कि एनीमिया को आम भाषा में खून की कमी कहते हैं। यानि खून में जब लाल रक्त कोशिकाएं कम होने लगती हैं तो शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर गिरने लगता है। तब एनीमिया की शिकायत होती है। गर्भावस्था में शिशु के विकास के लिए शरीर को अधिकाधिक रक्त की जरूरत पड़ती है। लिहाजा नियमित आयरन का सेवन अतिआवश्यक हो जाता है। शरीर में रेड ब्लड सेल्स की आपूर्ति के लिए आयरन, विटामिन- बी12 और फोलिक एसिड की जरूरत होती है। इनमें से किसी की भी कमी होने से एनीमिया की शिकायत होती है।

एनीमिया के लक्षण- सिर चकराना, सांस लेने में तकलीफ, सिरदर्द, चेहरे और हाथ-पैरों का रंग पीला पड़ जाना, एकाग्रता में कमी व चिड़चिड़ापन, सीने में दर्द,हाथ-पैर ठंडा रहना, आंखें अंदर की ओर धस जाना, नाखून पीले पड़ना एनीमिया के लक्षण हो सकते हैं।

एनीमिया के खतरे- डा. आरती के अनुसार शरीर में जब आयरन की कमी होती है तो हीमोग्लोबिन बनने में मुश्किल होती है। लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद प्रोटीन, फेफड़ों से आॅक्सीजन लेकर पूरे शरीर में पहुंचाता है। एनीमिया होने पर खून शरीर में ठीक से आॅक्सीजन नहीं पहुंचा पाता है। इसी तरह फोलेट की कमी से होने वाले एनीमिया से भी खतरे होते हैं। दरअसल फोलेट विटामिन-बी का ही एक प्रकार है। गर्भावस्था में फोलेट की जरूरत ज्यादा होती है। फोलेट की कमी से गर्भ में पल रहे शिशु को रीढ़ की हड्डी में दरार जैसे तंत्रिका दोष और मस्तिष्क संबंधी विकार होने का खतरा रहता है। जिन महिलाओं में विटामिन-बी-12 की कमी से एनीमिया होता है उनमें लाल रक्त कोशिकाएं ठीक से नहीं बन पातीं जिसके कारण उन्हें कर्इ तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

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गर्भावस्था में एनीमिया के कारण- 

पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक खानपान न करना। खासतौर पर हरी सब्जियों को भरपूर मात्रा में न खाने से एनीमिया की शिकायत हो सकती है। अगर महिला कम समय में फिर से गर्भवती होती है तो भी उसे एनीमिया का खतरा होता है। जिन महिलाओं को पहले से ही खून की कमी की समस्या होती है, उनमें गर्भावस्था के दौरान यह समस्या बढ़ सकती है।  इसके अलावा 20 साल से कम उम्र में गर्भवती होने पर भी एनीमिया का खतरा रहता है।

घबराने की जरूरत नहीं- गर्भावस्था के दौरान यदि एनीमिया है तो घबराने की जरूरत नहीं। चिकित्सक की सलाह पर आयरन, फोलिक एसिड व अन्य विटामिन की गोलियां खानी चाहिए। साथ ही पोषक आहार के साथ ही हरी सब्जियों को भरपूर उपयोग करना चाहिए। इससे खून की कमी दूर होती है। 

समय-समय पर जांच भी जरूरी- गर्भवती महिलाओं को समय-समय पर अपनी जांच कराते रहना चाहिए। हर माह की नौ व 24 तारीख को जिले के सभी सरकारी अस्पतालों, सीएचसी, पीएचसी पर आयोजित होने वाले ‘प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस’ पर प्रसव पूर्व अपनी जांच जरूर करानी चाहिए । इसके अतिरिक्त अन्य दिवस में भी इन केन्द्रों पर जाकर गर्भवती अपनी जांच करा सकती है। पं. दीनदयाल चिकित्सालय के एमसीएच विंग में भी प्रसव पूर्व जाँच व उपचार की सुविधा उपलब्ध है।

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