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Thursday, February 2, 2023

जागरुकता ही ‘सर्वाइकल कैंसर’ से बचाव का बेहतर उपाय

वाराणसी: कैंसर से महिलाओं की होने वाली मौत के सबसे बड़े कारणों में से एक है  ‘सर्वाइकल कैंसर’ (बच्चेदानी के मुंख का कैंसर)। इसके लक्षणों की पहचान कर इसका समय से उपचार कराया जाये तो यह ठीक भी हो जाता है लेकिन आमतौर पर महिलाएं इस बीमारी के लक्षणों के प्रति गंभीर नहीं होती हैं। यही लापरवाही उनके लिए जानलेवा हो जाती हैं। 


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सर्वाइकल कैंसर जागरुकता माह” के समापन के अवसर पर मंगलवार को  पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय के सभागार में आयोजित गोष्ठी में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने उक्त विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि सर्वाइकल कैंसर के लक्षण नजर आते ही तत्काल जांच कराकर उपचार शुरू करा  देना चाहिए। इस सम्बन्ध में परामर्श की सुविधा सभी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है। गोष्ठी में पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय स्थित एमसीएच विंग की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. आरती 'दिव्या'  ने सर्वाइकल कैंसर के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि गर्भाशय के मुंख का कैंसर ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण होता है। शारीरिक सम्पर्क के दौरान यह वायरस गर्भाशय के मुख तक पहुंच जाता है और उसे धीरे-धीरे संक्रमित करना शुरू कर देता है। 

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खास बात यह है कि गर्भाशय के मुख में एचपीवी से हुए संक्रमण को कैंसर में तब्दील होने में सामान्यतः दस से बीस वर्ष या इससे अधिक का समय लग जाता है। ऐसे में अगर समय रहते जांच कराकर संक्रमण का उपचार करा लिया जाए  तो बच्चेदानी के मुंख के कैंसर से पूरी तरह बचा जा सकता है। लिहाजा 30 से 60 वर्ष तक की महिलाओं को समय-समय पर जांच अवश्य करानी चाहिए ताकि उन्हें एचपीवी संक्रमण है तो उपचार कर उसे फौरन खत्म किया जा सके। उन्होंने बताया कि मैनोपोज के बाद भी ब्लीडिंग, पीरियड  खत्म होने के बाद भी रक्तस्राव और यौन सम्बन्ध के बाद रक्तस्राव की समस्या सर्वाइकल कैंसर के लक्षण हो सकते है। लिहाजा इसे गंभीरता से लेना चाहिए और समय रहते जांच कराकर उपचार कराना चाहिए।

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पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डा. प्रेम प्रकाश ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों पर यदि शुरुआत में ही ध्यान दिया जाय तो यह उपचार से पूरी तरह ठीक हो जाता है लेकिन आमतौर पर महिलाएं ऐसी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेती जिसका नतीजा होता है कि यह रोग उनके लिए जानलेवा हो जाता है। उन्होंने बताया कि शुरूआती लक्षण नजर आते ही ‘क्रायोथेरेपी’ कराने पर सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा खत्म हो जाता है। उन्होंने बताया कि इसमें गर्भाशय के मुख की ठंडी सिकाई की जाती है। इस उपचार के लिए मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत भी नहीं होती। गर्भाशय का मुख एचपीवी वायरस से संक्रमित है या नहीं। इसका पता लगाने के लिए वीआई विधि से जांच की जाती है। 

इस जांच में भी मात्र दो मिनट लगता है। संक्रमण का पता चलते ही उसी समय गर्भाशय के मुख की ‘क्रायोथेरेपी” की जाती है जिससे संक्रमण के साथ ही सर्वाइकल कैंसर का खतरा खत्म हो जाता है। उन्होने बताया कि जांच व क्रायोथेरेपी से उपचार की सुविधा पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के एमसीएच विंग में बने सम्पूर्णा क्लीनिक में उपलब्ध है। महिलाओं को इसका लाभ उठाना चाहिए। संगोष्ठी में पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय के कार्यकारी चिकित्सा अधीक्षक डा. बी. राम. के अलावा डा. ज्योति ठाकुर, प्रीति यादव समेत अन्य चिकित्सक व चिकित्साकर्मी मौजूद थे।

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