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Saturday, December 3, 2022

बड़ागांव के बचौरा कंपोजिट स्कूल में हुआ जागरूकता कार्यक्रम

वाराणसी: ‘विकलांग व्यक्तियों के लिए समर्पित अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ पर राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया से ग्रसित रोगियों और उनकी दिव्यांग्ता के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से शनिवार को बड़ागांव ब्लॉक के बचौरा स्थित कंपोजिट स्कूल में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था द्वारा बनाये गए फाइलेरिया नेटवर्क समूह के सदस्यों ने बच्चों को फाइलेरिया (हाथी पाँव) से होने वाली विकलांगता के बारे में जागरूक किया। साथ ही दिव्यांग्ता के प्रति समर्थन और एकजुट होने के लिए बच्चों को प्रेरित भी किया। समूह के सदस्यों ने संस्था की ओर से मिल रहे सहयोग और अपने भी अनुभव साझा किए। 


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इस मौके पर बच्चों के साथ फाइलेरिया दिव्यांग्ता को लेकर वाद-विवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें बच्चों ने बढ़चढ़ कर सहभागिता दिखाई। इसके पश्चात प्रधानाध्यापक मानिक राम, सीफार के जिला समन्वयक अम्बरीष राय व ब्लॉक समन्वयक विजय कुमार पटेल ने बच्चों को फाइलेरिया रोग और उससे होने वाली दिव्यांग्ता के बारे में बताया। साथ ही इस रोग के कारण, लक्षण, बचाव, उपचार, प्रबंधन आदि के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। 

जिला मलेरिया अधिकारी शरद चंद पांडे ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन और रोगियों में दिव्यांग्ता दूर करने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है । सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था द्वारा पिंडरा और बड़ागांव ब्लॉक में बनाये गए समूह के सदस्य भी सक्रिय हैं और सशक्त भूमिका निभा रहें हैं। समुदाय को फाइलेरिया के प्रति जागरूक कर रहे हैं साथ ही उनके मिथक व भ्रांतियों को भी दूर कर रहे हैं। फाइलेरिया नियंत्रण इकाई के प्रभारी व बायोलोजिस्ट डॉ अमित कुमार सिंह ने बताया कि दुनिया में दिव्यांग्ता का दूसरा प्रमुख कारण फाइलेरिया हाथीपांव है। फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर गंदगी वाले स्थान पर पाये जाते हैं। इसके संक्रमण से लिम्फ़ेडोमा (हाथीपांव) और जननांगों (अंडकोष व स्तन) में सूजन हो जाती है। लिम्फ़ेडोमा गंभीर स्थिति में न हो, इसके लिए रोगियों को रुग्णता प्रबंधन के लिए एमएमडीपी किट और प्रशिक्षण दिया जा रहा है। फाइलेरिया से बचाने के लिये एमडीए का सेवन साल में एक बार सभी को करना चाहिये। सिर्फ दो साल से कम के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को छोड़कर।  

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बड़ागांव ब्लॉक में समूह से जुड़े लल्लन प्रजापति (55) का कहना है कि वह करीब 15 साल से हाथीपाँव से ग्रसित हैं। जानकारी न होने से वह अपने पैर की सही देखभाल और साफ-सफाई नहीं कर पर रहे थे लेकिन जब से इस समूह से जुड़ें है। तो पैर को काफी आराम मिला है। वह अब नियमित व्यायाम करते हैं जिस वजह से उनकी पैरों की सूजन धीरे-धीरे कम हो रही है। अमरावती देवी (65) का कहना है कि वह करीब 25 साल से हाथीपांव से ग्रसित हैं। इसकी वजह से दैनिक कार्य करने में बहुत दिक्कत आती है। दर्द भी रहता है। जब समूह के लोग उनसे मिले और उन्होने अपने अनुभव साझा किए। तो उन्होने आवश्यक दवा के साथ नियमित व्यायाम शुरू किया। वर्तमान में उनके पैर को काफी आराम है।

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