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Tuesday, December 09, 2025

वाराणसी में शुभम के दो करीबी गिरफ्तार, 2 हजार करोड़ की कफ सीरप तस्करी मामले में उगले कई राज

वाराणसी: दो हजार करोड़ की कफ सीरप तस्करी में पुलिस कमिश्नरेट की एसआइटी ने सोमवार रात दवा के दो कारोबारियों को गिरफ्तार कर लिया। दोनों ने पूछताछ में एक वर्ष में कफ सीरप की पांच लाख 41 हजार शीशी बेचने की बात कुबूलते हुए सात करोड़ रुपये शुभम जायसवाल (कफ सीरप तस्करी के सरगना) की स्वामित्व वाली रांची की शैली ट्रेडर्स के खाते में भेजने की बात स्वीकारी।



पुलिस की जांच में पता चला कि गिरफ्तार दोनों कारोबारियों के दवा फर्म फर्जी दस्तावेजों से तैयार कराए गए थे। फर्जी ई-वे बिल के जरिए ढोए गए कफ सीरप कहां गए, इसके बारे में पुलिस भी अनभिज्ञ है। गिरफ्तार आरोपितों ने कहा कि उनके हिस्से प्रत्येक माह 30 से 40 हजार रुपये कमीशन के रूप आते थे।


पुलिस उपायुक्त गौरव बंसवाल व एसआइटी के मुखिया सरवणन टी ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि लालपुर पांडेयपुर थाना अंतर्गत हुकुलगंज निवासी विशाल कुमार जायसवाल व बादल आर्य को पूछताछ के लिए कोतवाली बुलाया गया था, जहां दोनों जांच में सामने आए तस्करी से जुड़े तथ्यों का जवाब नहीं देने के कारण गिरफ्तार किया गया।


गिरफ्तार विशाल जायसवाल ने बताया कि उसके दवा फर्म हरी ओम फार्मा ने कफ सीरप की 4 लाख 18 हजार शीशी भोला प्रसाद (तस्करी के सरगना शुभम जायसवाल के पिता) के रांची झारखंड स्थित फर्म शैली ट्रेडर्स खरीदी और उसे पांच करोड़ रुपये से ज्यादा में बेच दिया। गिरफ्तार दूसरे आरोपित बादल आर्य ने बताया कि उसके दवा फर्म काल भैरव ट्रेडर्स ने भी भोला प्रसाद की शैली ट्रेडर्स से कफ सीरप की एक लाख 23 हजार शीशी खरीदी और उसे दो करोड़ रुपये से अधिक में बेच दिया।


दोनों ही फर्मों ने खरीदे गए कफ सीरप के लिए ई-वे बिल जेनरेट कर उसका ट्रांसपोर्ट भी किया। कफ सीरप अंतत: कहां गया, इससे पुलिस भी अनजान है। डीसीपी ने बताया कि जालसाजी की धारा में दोनों की गिरफ्तारी हुई है, जिसे जांच के दौरान कोतवाली पुलिस ने बढ़ाया था। गिरफ्तार विशाल व बादल आर्य ने बताया कि दिवेश जायसवाल की फर्में डीएसए फार्मा व महाकाल फार्मा (भेलूपुर में एक ही पते पर दोनों फर्म) ने हमारी पहचान श्रीहरी फार्मा एंड सर्जिकल एजेंसी सोनिया सिगरा के अधिष्ठाता अमित जायसवाल व शैली ट्रेडर्स के शुभम जायसवाल से कराई थी।


हमें तीनों लोग कम समय में ज्यादा कमाई करने का लालच देकर कफ सिरप के व्यापार में ले आए। उन्हीं लोगों ने एक दुकान चह्नित कराकर फर्जी व कूटरचित दस्तावेज के जरिए हमें ड्रग लाइसेंस दिलवाए। इस कारोबार के बदले दिवेश जायसवाल हमें 30 से 40 हजार रुपये प्रति माह कमीशन देता था।हमारे बैंक खाते में जो रुपये आते थे, उसे शैली ट्रेडर्स के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता। हमारे बैंक खातों की जानकारी रखने वाला दिवेश जायसवाल खुद से हमलोगों से ओटीपी मांगकर रुपये ट्रांसफर करता था।

ई-वे बिल में अकथा से आशापुर की दूरी दिखाई सौ किमी

पुलिस ने विशाल और बादल आर्य के फर्म द्वारा जेनरेट किए गए ई-वे बिल को चेक किया तो हैरान रह गई। इसलिए कि अकथा से आशापुर की दूरी चार किमी. है, जबकि तस्करों ने 100 किमी. दिखाई।

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