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Saturday, May 17, 2025

वाराणसी में फर्जी सिम और म्यूल बैंक खाते बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़

वाराणसी: साइबर अपराध की दुनिया में एक बेहद चौंकाने वाला खुलासा वाराणसी पुलिस की तत्परता से सामने आया है। फर्जी सिम और म्यूल बैंक खाते बनवाकर उन्हें दिल्ली, छत्तीसगढ़ व अन्य राज्यों में साइबर अपराधियों को बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया गया है। साइबर सेल व थाना लालपुर-पाण्डेयपुर की संयुक्त टीम ने गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर वाराणसी को एक बड़ी साइबर त्रासदी से बचा लिया।


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एक आधार नंबर से सामने आया फर्जीवाड़ा
पूरा मामला उस समय उजागर हुआ जब स्थानीय निवासी मेहताब खान ने केंद्र सरकार की वेबसाइट (https://tafcop.sancharsaathi.gov.in) पर अपना आधार नंबर डालकर यह जानने की कोशिश की कि उनके नाम पर कितनी सिम कार्ड चल रही हैं। इस प्रक्रिया में उन्हें पता चला कि उनकी जानकारी के बिना उनके नाम पर एक अतिरिक्त सिम भी सक्रिय है। इससे पुलिस को जांच की दिशा मिली और मुकदमा पंजीकृत कर त्वरित कार्रवाई शुरू हुई।

फर्जीवाड़े की परतें खुलीं – केवाईसी का दुर्पयोग, पहचान की चोरी
जांच में सामने आया कि अभियुक्त सिम लेने वाले भोले-भाले लोगों, कम पढ़े-लिखे या झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों की डबल केवाईसी कर उनके नाम पर फर्जी सिम जारी करते थे। यही नहीं, उनके आधार और पैन कार्ड की कॉपी लेकर उनके नाम पर बैंक खाते भी खुलवाए जाते थे। इन सिम कार्ड और खातों को बाद में "साइबर अपराधियों के पास पैक करके" अन्य राज्यों में भेजा जाता था।

गिरफ्तार किये गए अभयुक्अतों में सूर्यकांत विश्वकर्मा उम्र 25 वर्ष जो इस फर्जीवाडे का मास्टरमाइंड एजेंट है, विकाश मौर्य उम्र 30 साल जो बैंकिंग चैनल से जुड़ा व्यक्ति है और मोहम्मद अरमान उम्र 23 साल पीओएस एजेंट, सिम बिक्री से जुड़ा हुआ है. इनके ऊपर पुलिस ने बीएनएस 2023 की धारा 111/318(2), आईटी एक्ट की धारा 66सी व 76 तहत कार्यवाही कि गयी है. 


इस सफलता में साइबर सेल और थाना लालपुर-पाण्डेयपुर की संयुक्त टीम का योगदान उल्लेखनीय रहा। टीम का नेतृत्व प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार तिवारी और निरीक्षक राजीव कुमार सिंह ने किया। पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने पूरी टीम को बधाई दी है और आगे भी ऐसे साइबर अपराधियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। साथ ही पुलिस प्रशासन ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे समय-समय पर अपने आधार से जुड़े मोबाइल नंबर और बैंक खातों की जांच करें। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत स्थानीय थाने या साइबर सेल को सूचना दें।

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