वाराणसी: पूर्वान्चल विधुत वितरण निगम और दक्षिणांचल वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव के खिलाफ विधुत मज़दूर पंचायत उ0प्र0 करेगा जबरदस्त विरोध प्रदर्शन, इस पूरे विरोध प्रदर्शन की रूप रेखा तय करने हेतु विधुत मज़दूर पंचायत की आपातकालीन बैठक भिखारीपुर स्थित हनुमानजी जी मंदिर पर दिनांक- 30/11/2024 को दोपहर-1बजे मीटिंग बुलायी गयी है जिसमे सभी पदाधिकारियों की उपस्थिति में आंदोलन की रूप रेखा तय की जाएगी।
मीडिया प्रभारी अंकुर पांडेय ने बताया कि विधुत मज़दूर पंचायत की कोर कमेटी की बैठक में यह पहले ही तय हो चुका है कि बिजली उद्धोग का निजीकरण कतई बर्दाश्त नही किया जाएगा क्योंकि तत्कालीन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में वर्ष 2000 के समझौते में स्पष्ट लिखा है कि यदि पावर कारपोरेशन बनने के एक साल के अंदर 77 करोड़ का घाटा कम नही हुआ तो पुनः इसको राज्य विधुत परिषद बना दिया जाएगा जबकि वर्तमान में घाटा 1लाख करोड़ बताया जा रहा है जिससे स्पष्ट है कि पावर कारपोरेशन बनाने का प्रयोग पूरी तरह विफल हो चुका है.
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साथ ही नोयडा और आगरा के निजीकरण का प्रयोग भी पूरी तरह से फेल हो चुका है क्योंकि इन जगहों से ज्यादा बनारस, प्रयागराज, गोरखपुर आदि शहरों का हानिया कम होने के साथ ही राजस्व का कलेक्शन भी बेहतर है फिर भी ये निजीकरण का प्रस्ताव समझ से परे है जबकि सबको ज्ञात है कि निजी एजेंसियों के आने से महंगी बिजली का दंश आम जनता को झेलना पड़ेगा जबकि मुख्यमंत्री के कार्यकाल में पिछले 5 साल से बिजली का रेट नही बढा है और विधुत आपूर्ति इन्ही मेहनतकश कर्मचारियों और अधिकारियों से बेहतर हुई है और आगे भी होगी।
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साथ ही यह भी अवगत कराना है कि वर्तमान सरकार के वित्त मंत्री सहित पूरे ऊर्जा प्रबन्धन द्वारा पूर्व में संघर्ष समिति के साथ लिखित समझौता हुआ था कि ऊर्जा विभाग का आगे निजीकरण नही किया जाएग उसके बाद भी इस तरह का प्रयोग समझ से परे है जिसको लेकर कर्मचारियों में काफी आक्रोश है और इस आक्रोश को बढ़ाकर ऊर्जा प्रबंधन इस विभाग की दुर्गति करने में लगा है।
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विधुत मज़दूर पंचायत उ0प्र0 की मुख्यमंत्री से सादर अपील है कि ऊर्जा प्रबन्धन के निजीकरण के प्रयास को रोकते हुए उद्योग हिट और आमजनमानस के हित मे पुनः राज्य विधुत परिषद का गठन कराये जिससे पूरे देश मे उनकी ख्याति और बढ़े सभी विभागों की तरह ऊर्जा विभाग भी पूरे प्रदेश की जनता की सेवा कर सके।
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