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Wednesday, March 13, 2024

हैप्पी बेबी प्रोग्राम पर लर्निंग एक्सचेंज कार्यक्रम का हुआ आयोजन

वाराणसी: स्लम इलाकों में हैप्पी बेबी कार्यक्रम से बच्चों के टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए व्हाट्सएप और एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) चैटबॉट के संयोजन का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया। अभिनव कार्यक्रम ने छोटे बच्चों की माताओं को आगामी टीकाकरण दिवसों, बधाई संदेशों (अपने बच्चे को टीका लगाने के लिए) और टीकों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी की याद दिलाने के लिए व्हाट्सएप पर चैटबॉट - संचालित संदेश भेजे। उक्त बातें बुधवार को कैंटोमेंट स्थित रेडिसन होटल में आयोजित हुए हैप्पी बेबी प्रोग्राम के लर्निंग एक्सचेंज कार्यक्रम में कहीं गईं। 


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इस मौके पर संयुक्त राज्य अमेरिका में जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, प्रधान अन्वेषक डॉ. राजीव एन. रिमल ने कहा, "हम अध्ययन के निष्कर्षों को देख कर रोमांचित हो गये हैं।" उन्होंने कहा, " यह उत्तर प्रदेश सरकार के साथ एक मजबूत साझेदारी थी और उसका समर्थन भी था, और वाराणसी में माताओं वाराणसी में माताओं और छोटे बच्चों के जीवन को बेहतर बनाना एक लिए हम जो कुछ भी कर सकते हैं वह उच्च प्राथमिकता है ।" 

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मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने कहा, "हमारे फ्रंटलाइन कार्यकर्ता आमतौर पर बहुत व्यस्त रहते हैं, और हैप्पी बेबी प्रोग्राम टीकाकरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनके लिए कुछ राहत लेकर आया है।" अध्ययन में पाया गया कि हैप्पी बेबी प्रोग्राम के उपयोगकर्ताओं का टीकों और स्वास्थ्य प्रणाली के प्रति भरोसे के स्तर में काफी सुधार हुआ है। अध्ययन का एक अभिनव हिस्सा सोशल नेटवर्क विश्लेषण (एस.एन.ए) हैं। इससे यह समझने में मदद मिली कि कैसे लोगों के एक-दूसरे के साथ संबंध टीकाकरण संचार, मानदंडों और दृष्टिकोण को प्रोत्साहित कर सकते हैं। अध्ययन के एस.एन.ए घटक की देखरेख करने वाले लोयोला यूनिवर्सिटी मैरीलैंड के डॉ. नील एल्परस्टीन ने बताया, "यह उल्लेखनीय है कि टीकाकरण की जानकारी के लिए लोगों का प्राथमिक नेटवर्क उनका निकटतम या दूर का परिवार था।"

हैप्पी बेबी प्रोग्राम, जिसे व्हाट्सएप चैटबॉट के रूप में डिज़ाइन किया गया है, एआई जैसी नई तकनीकों की खोज करता है और इसमें अपने बच्चों के पूर्ण टीकाकरण को सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत संदेश के साथ बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंचने की क्षमता रखता है। चैटबॉट के डिजाइन के लिए जिम्मेदार स्वास्थ्य प्लस नेटवर्क के सिद्धार्थ रथ ने कहा, "ए.आई के साथ निजीकृत एक इंटरैक्टिव चैटबॉट के रूप में व्हाट्सएप पर ऑडियो-वीडियो सामग्री को शामिल करना सरकारों और संगठनों के लिए पूर्ण टीकाकरण की दिशा में प्रगति करने का एक आशाजनक और प्रभावी उपकरण है।"

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अध्ययन में, प्रतिभागियों को टीकाकरण और हाथ धोने, पोषण और स्तनपान जैसे अन्य स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में संदेश प्राप्त हुए। निष्कर्षों से पता चला कि जिन लोगों को संदेश प्राप्त हुए, उनमें टीकाकरण के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखने और स्वास्थ्य प्रणाली में अधिक विश्वास व्यक्त करने की काफी अधिक संभावना पायी गयी। डॉ. रिमल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि “माँ आमतौर पर अपने घर का प्रबंधन करने और अपने परिवार की देख-रेख सहित कई काम कर रही हैं, जिसका अर्थ है कि उनके पास खाली समय नहीं है। अगर तकनीक उनकी मदद कर सकती है, तो हमें हैप्पी बेबी प्रोग्राम जैसी तकनीकों को बढ़ावा देना चाहिए।''

यह अध्ययन छह स्लम क्षेत्रों में आयोजित किया गया था: बजरडीहा, कज्जाकपुरा, कोनिया, लहरतारा, नई बस्ती और शिवपुर। इस कार्यक्रम में कार्यक्रम भागीदारों (जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय, जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय, और लोयोला विश्वविद्यालय मैरीलैंड, सार्थक और डीसीओआर) के प्रतिनिधि, एसीएमओ डॉ एके मौर्य, जिला कार्यक्रम अधिकारी दिनेश कुमार सिंह, प्रभारी चिकित्साधिकारी, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी हरिवंश यादव, यूनिसेफ से डॉ शाहिद एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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