आप लोग जब भी कोई फॉर्म भरते हैं तो, आप लोगो को अपने परिचय के साथ अपना पूरा एड्रेस लिखना होता हैं. तब आप अपने गली, मोहल्ला, लैंडमार्क (landmark), गांव, शहर (City), राज्य (State), पिन कोड (Pincode) वगैरह सब कुछ लिखते हैं. वहीं अब आजकल लेटर भेजने का चलन तो नहीं रहा लेकिन, एडमिट कार्ड्स (Admit card), ऑफिशियल डॉक्यूमेंट्स (Official Documents), जॉब कॉल लेटर, शादी के इनविटेशन कार्ड (Invitation Card) ऑनलाइन आने के साथ ही आज भी डाक के जरिए ही आते हैं. वहीं, ऑनलाइन शॉपिंग (Online Shopping) में प्रॉडक्ट डिलीवरी के लिए सही एड्रेस होना बहुत जरूरी ही है. लेकिन अब आप लोग सोच रहे होंगे कि हम ये सब आपको क्यों बता रहे है.
दरअसल, बात ये ही कि अब इतने तामझाम की
कोई जरूरत नहीं होगी और आपका समय भी बचेगा. क्योंकि जल्द ही आपके घर का अपना एक
यूनीक एड्रेस होगा. बिल्कुल वैसे ही जिस तरह आपकी पहचान के लिए आधार कार्ड यानी की
आपका यूनीक आधार नंबर है. उसी तरह आपके घर की भी एक यूनीक आईडी होगी. इस तरह देश
के हर गांव-शहर के हर घर का एक डिजिटल कोड होगा और सिर्फ क्यूआरकोड को
स्कैन करके भी काम हो जाएगा. संभावना यह भी है कि यह डिजिटल कोड (Digital Address
Code) पिन कोड की
जगह ले सकता है.
प्रमाण नहीं देना होगा बार-बार एड्रेस का
यह व्यवस्था
के लागू होने से हर घर का ऑनलाइन एड्रेस वेरिफिकेशन हो सकेगा. हर मकान का एक अलग
कोड होगा. जैसे कि अगर एक बिल्डिंग में 50 फ्लैट हैं तो हर फ्लैट का एक
यूनीक कोड होगा. वहीं एक मंजिल पर दो परिवार रहते हैं तो उनका भी अलग-अलग कोड
होगा. अब कोई भी डाक, ऑनलाइन
शॉपिंग, फूड
डिलीवरी, कैब, इसी यूनीक कोड के जरिए सीधे आपके
दरवाजे तक पहुंचेगा.
डिजिटल मैप
सर्विस इसमें मदद करेगी. सैटेलाइट डिजिटल एड्रेस कोड के जरिए हर घर की सटीक लोकेशन
बता सकेंगे. आपको बता दें कि कि जहां डिजिटल मैप्स की सेवाएं उपलब्ध न हो, वहां आप अपना पूरा पता दर्ज कर
सकते हैं. बस आपको पिन कोड की जगह डीएसी दर्ज करना होगा.
वर्गीकरण होगा भवनों का बस्तियों में
डाक विभाग डिजिटल एड्रेस कोड व्यवस्था का मुख्य
उद्देश्य देश के हर एड्रेस का डिजिटल ऑथेंटिकेशन (digital
authentication) करना है. इस डिजिटल पते में गांव या शहर की जगह आपके घर के सही पते को
वरीयता गई है. डाक विभाग देश के 75 करोड़ भवनों को ‘नेबरहुड’ यानी बस्तियों
में वर्गीकृत चाहता है. हर बस्ती में 300 पते शामिल किए
जाएंगे. अगर ऐसा हुआ तो पूरे देश को करीब 25 लाख बस्तियों
में बांटा जा सकता है. तब इस यूनीक कोड से ही बस्ती और उसके हर मकान की पहचान होगी.
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