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Friday, November 26, 2021

वाराणसी के इस वीर ने आतंकियों को भागने के लिए किया था मजबूर, कसाब पर फेंककर मारी थी कुर्सी

मुंबई अटैक 26/11: 26/11 की खौफनाक घटना को पूरा देश कभी भी भूल नहीं सकता है. 26 नवंबर 2008 यानी मुंबई में हुए आतंकी हमले को आज 13 साल पूरे हो गए हैं. मौत का वह मंजर लोगों के मन में और इतिहास में हमेशा जिंदा रहेगा. उस दिन आतंकी कसाब (Ajmal Kasab) और उसके साथियों ने मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन (CSMT) को गोलियों से लहूलुहान कर चुका था, लेकिन आज हम आपको बताएंगे उत्तर प्रदेश के वाराणसी के एक ऐसे शख्स के बारे में जिसने बिना हथियार के ही खतरनाक एके-47 से लैस दरिंदे अजमल कसाब को भागने पर मजबूर कर दिया था.  




डटकर सामना किया चलती गोलियों के बीच
अजमल कसाब को खदेड़ने वाला व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि वाराणसी के मोहाव गांव के आरपीएफ जवान झिल्लू यादव हैं, झिल्लू यादव ने उस वक्त मुंबई के सीएसटी स्टेशन पर आतंकी अजमल कसाब के सामने मोर्चा संभाला हुआ था. उस समय झिल्लू यादव के पास कोई हथियार नहीं था और उन पर गोलियों की ताबड़तोड़ बौछार हो रही थी. पर वे डरे नहीं और अजमल कसाब पर कुर्सी फेंक कर वार किया. अजमल कसाब को कुर्सी पड़ी तो यह जज्बा देख वह और उसके आतंकी साथी कुछ कदम पीछे हो गए. 



झिल्लू यादव ने साथी से 303 बोर की राइफल छीनकर कसाब पर की फायरिंग
कुछ समय बाद सेफ पोजीशन से आतंकी अजमल कसाब ने झिल्लू यादव  पर ऐके-47 से 15 राउंड ताबड़तोड़ गोलियां चलाया. बिना हथियार के वहां फंसे झिल्लू यादव खुद को बचाने के लिए दीवार के पीछे खड़े हो गए थे. झिल्लू यादव ने तुरंत अपने एक साथी को फायर के लिए बोला, लेकिन कुछ अपनी स्थिति और कुछ डर के कारण उनका साथी फायर नहीं कर पा रहा था. मौका मिलते ही झिल्लू यादव ने अपने साथी से 303 बोर की राइफल छीनकर कसाब पर  जमकर फायरिंग कर दी. इसके बाद आतंकी वहां से भाग खड़े हुए. उत्तर प्रदेश के इस वीर झिल्लू यादव की इस बहादुरी को लिए उन्हें राष्ट्रपति की ओर से सम्मानित भी किया गया था. 

मुंबई 13 साल पहले दहला था
26 नवंबर 2008, महज 10 दहशतगर्दों ने सपनों का नगरी मुंबई को दहला दिया था. अजमल कसाब सहित उसके साथियों ने छत्रपति महाराज टर्मिनसताज महल पेलेस होटल, होटल ट्राइडेंट, नरीमन हाउस, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल समेत मुंबई के कई अहम जगहों को अपना निशाना बनाया था. मीडिया रिपोर्ट और जांच अधिकारियों के अनुसार, इस घटना में 166 लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद अजमल आमिर कसाब पकड़ा गया और उसे  21 नवंबर 2012 को फांसी की सजा हुई.

 

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