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Saturday, April 08, 2023

भारत में 42 प्रतिशत महिलाएं एवं 65 प्रतिशत गर्भवती महिलाए एनीमिया की शिकार - डॉ संध्या यादव (BHU)

वाराणसी: नारी सशक्तिकरण में पुनर्जागरण के चिंतकों राजा राम मोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती, ईश्वर चंद्र विद्यासागर एवं पंडित मदन मोहन मालवीय ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान की है। महिलाए समाज का अभिन्न अंग है चाहे वो परिवार हो या फिर समाज महिलाओं के स्वास्थ्य की चिंता सभी को होनी चाहिए।


गर्भावस्था महिला के जीवन का महत्वपूर्ण चरण है। गर्भवती महिलाओं में एनीमिया एक प्रमुख समस्या है। यह ऐसी स्थिति है जिसके अंतर्गत रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो जाता है।  डब्लू एच वो का अनुमान है कि हमारे देश में 42 प्रतिशत महिलाएं एवं 65 प्रतिशत गर्भवती महिलाए एनीमिक है। भारत में एनीमिया प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रक्तस्राव, हृदय विफलता, संक्रमण और प्रिकलम्सिया के कारण मातृ मृत्यु के 40 प्रतिशत लक्षण के लिए जिम्मेदार है। विश्व स्वास्थ्य संगठन  गर्भवती महिलाओं के लिए प्रतिदिन  60 मि.ग्रा. आयरन अनुपूरण की सलाह देता हैं तथा भारत सरकार गर्भवती महिलाओं के लिए प्रतिदिन100 मि.ग्रा  आयरन अनुपूरण की सलाह देता हैं.  

एनीमिया के उपचार में जागरूकता एवं पौष्टिक व संतुलित आहार की जानकारी जैसे की विटामिन सी, प्रोटीन और लौह से भरपूर आहार, खाने के साथ चाय और काफी के सेवन से दूर रहने की आवश्यकता है। लौह से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे दाल, गुड़, चुकंदर, हरि सब्जियां, मेवे, अंडा, मछली, अंजीर आदि के नियमित सेवन और गर्भावस्था के दूसरी तिमाही से आयरन के गोली के सेवन से एनीमिया से बचा जा सकता है।

इंटरनेशनल जनरल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड पब्लिक हैल्थ के रिपोर्ट के अनुसार विश्व में लगभग 5 लाख से अधिक की मौत गर्भावस्था के दौरान होती है जिसका एक प्रमुख कारण हाई रिस्क प्रेगनेन्सी है । भारत में हाई रिस्क प्रेगनेन्सी की दर 20 से 30 प्रतिशत है। जिसमें प्रमुख रूप से उच्च रक्त चाप, मधुमेह, हृदय या गुर्दे की समस्या, ऑटो इम्यून रोग, थायरायड रोग, महिला की आयु 17 साल से कम या 35 साल से अधिक है। इसके अतिरिक्त गर्भवती महिला को यदि पूर्व गर्भावस्था के दौरान प्रीइकलम्सिया या इकलम्सिया, बच्चा आनुवंशिक समस्या के साथ पैदा हुआ हो, एच आई वी या हेपेटाइटिस सी  के संक्रमण रहा हो तो वह हाई रिस्क प्रेगनेन्सी  का कारण बन सकता है। इससे बचने के लिए महिला को डाक्टर की देखरेख में नियमित रूप से परिछन करवाते रहना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान हर महिला को भरपूर मात्रा में पानी पीने जरूरी होता है। जहां तक संभव हो जंक फूड से अपने आप को दूर रखें। गर्भवती महिला को हित या योग्य आहार विहार का सेवन करना चाहिए तथा मैथुन, क्रोध एवं शीत से बचना चाहिए।

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