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Thursday, December 1, 2022

फाइलेरिया उन्मूलन : सोमवार से शुरू होगा ‘प्री-ट्रांसमिशन असेस्मेंट सर्वे’

वाराणसी: जनपद में लोगों को फाइलेरिया रोग से बचाव तथा संक्रमण का पता लगाने के साथ ही मूल्यांकन के उद्देश्य से सोमवार से ‘प्री ट्रांसमिशन असेस्मेंट सर्वे’ यानि पूर्व संचरण मूल्यांकन सर्वेक्षण शुरू किया जाएगा। यह अभियान 15 दिसंबर तक चलेगा। 


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सीएमओ डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत संचालित सर्वेक्षण अभियान के लिए समस्त तैयारियाँ की जा चुकी हैं । जांच के लिए किट पर्याप्त मात्रा में प्राप्त हो चुकी हैं। ग्रामीण में आठ और नगर के लिए 24 टीमें बनाई गईं हैं। प्रतिदिन एक टीम किट से 100 सैंपल एकत्रित करेंगी। नौ दिन में समस्त 32 सीएचसी व पीएचसी से करीब 28 हजार से अधिक जांच करने का लक्ष्य दिया गया है। 

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व अभियान के नोडल अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया ने बताया कि इस सर्वेक्षण के लिए जनपद के आठ ब्लॉक व 24 शहर स्तरीय स्वास्थ्य केन्द्रों पर एक रेंडम और दो-दो सेंटीनल साइट का चयन किया गया है । जहां पूर्व में फाइलेरिया के मरीज पाये गए, उसे सेंटीनल साइट कहा जाता है। एक साइट से 300 जांच और एक पीएचसी-सीएचसी से 900 सैंपल तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। जांच में पॉज़िटिव पाये जाने पर सरकार द्वारा मरीजों का निःशुल्क इलाज कराया जाएगा।  

जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरद चंद पांडे ने बताया कि इसी साल सितंबर में चलाये गए नाइट ब्लड सर्वे में 19,800 लोगों की जांच हुईं, जिसमें 20 नए फाइलेरिया रोगी पाए गए। साथ ही इस साल अब तक कुल 20 नए रोगी चिन्हित किए जा चुके हैं।    

बायोलोजिस्ट एवं फाइलेरिया नियंत्रण इकाई के प्रभारी डॉ अमित कुमार सिंह ने बताया कि इस सर्वेक्षण का उद्देश्य पिछले तीन वर्षों से आईडीए-एमडीए राउंड में लोगों को खिलाई जा रही फाइलेरिया रोधी दवा के संचरण का मूल्यांकन करना है और पता लगाना है कि लक्षित आबादी के सापेक्ष कितने प्रतिशत लोग फाइलेरिया से ग्रसित हैं।   

क्या है फाइलेरिया और इसके लक्षण – डॉ अमित ने बताया कि यह बीमारी हाथीपांव नाम से भी प्रचलित है । लिंफेटिक फाइलेरियासिस को आम बोलचाल में फाइलेरिया या हाथीपांव कहते हैं। यह रोग मच्छर के काटने से ही फैलता है। फाइलेरिया के सामान्यतः कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं। बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द और सूजन की समस्या दिखाई देती है। पैरों और हाथों में सूजन, हाथीपांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों का सूजन), महिलाओं के स्तन में सूजन के रूप में भी यह समस्या सामने आती है। इस बीमारी से बचने के लिये सभी को अपने चारों तरफ साफ-सफाई रखने के साथ मच्छरदानी, मास्किटो क्रीम आदि मच्छरों से बचाव के उपाय करने चाहिये।

उपचार व सहयोग - जांच में पाजिटिव आने के बाद मरीजों को समुचित उपचार किया जाता है। चिन्हित मरीजों को दवा खिलाई जाती है। साथ ही एमएमडीपी किट और रोग का प्रबंधन व देखभाल की जाती है। हाइड्रोसील के मरीजों का निःशुल्क इलाज किया जाता है। इलाज की निःशुल्क सुविधा जनपद के समस्त ग्रामीण स्तरीय पीएचसी एवं फाइलेरिया नियंत्रण इकाई रामनगर में मौजूद है। आईडीए-एमडीए कार्यक्रम के तहत साल में एक बार अभियान चलाकर लक्षित समस्त आबादी को निःशुल्क फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई जाती है।

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