जाल निगम ठेकेदार संघर्ष समिति द्वारा आज दिनांक 30
नवम्बर 21 को अपनी मांगो को लेकर षष्टम निर्माण खण्ड, उत्तर प्रदेश जल निगम, कार्यालय के प्रांगण में एक दिवसीय
सांकेतिक धरना प्रदर्शन के लिए प्रशासन से अनुमति माँगा गया था लेकिन प्रशासन ने
अनुमति देने से इंकार कर दिया था फिर भी संघर्ष समिति द्वारा उत्तर प्रदेश के
मुख्यमंत्री को सम्बंधित ज्ञापन जिला प्रशासन के मध्यम से प्रेषित किया गया| जिसमे
समिति ने बताया कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रो में गाँव-गाँव पाइप
से नल द्वारा जलापूर्ति के लिए बड़ी कंपनियों को जिलेवार कार्य दे दिया गया है
जिससे पुरे प्रदेश के लगभग 40 ठेकेदार एवं उनसे जुड़े लोग लगभग लाखोँ कुशल/अकुशल
श्रमिक बेरोजगार हो गए है| साथ ही निम्नलिखित बिन्दुओ पर ध्यान करते हुए मांग की
गईं है जो निम्नवत है:-
2. पूर्व में स्थानीय ठेकेदारों द्वारा जो निविदाएँ डाली गयी थी वो प्रतिस्पर्धा के कारण विभागीय दर से लगभग 7 से 10 प्रतिशत तक कम दरों पर थी|
3. पुरे प्रदेश में एल. एण्ड टी., टी.सी.ए.एल., एन.सी.सी. लिमिटेड आदि जैसी बड़ी कंपनियों को ही स्टीमेट बनाने का कार्य सौंप दियें जाने से चूकी इनको ही कार्य कराना है इसलिए इनके द्वारा विभागीय दरों की तुलना में अनुमानित लगत लगभग 30 से 40 प्रतिशत तक अधिक बनाया गया है यदि स्थानीय ठेकेदारों को कार्य कराना होता तो ये विभागीय दर से प्रतिस्पर्धा करते अर्थात 10 प्रतिशत तक अतिरिक्त बचत होती|
4. उपरोक्त कंपनियों द्वारा लगत से अधिक स्टीमेट बनाने के पश्चात् भी इनकी दरें विभागीय दर से 40 प्रतिशत अधिक है|
5. विगत पांच वर्षों से वर्ल्ड बैंक एवं अन्य ग्रामीण पेयजल योजना के अंतर्गत समूह ग्राम एवं एकल ग्राम योजनाओ की निविदा स्थानीय ठेकेदारों द्वारा 5 से 10 प्रतिशत तक कम दरों पर प्राप्त कर ससमय पूर्ण कर दिया गया जिससे अधिकांश योजनायें हस्तानांतरित भी हो गयी है|
6. जल जीवन मिशन अंतर्गत ग्रामीण पेयजल योजनायें जनपद वाराणसी के सैकड़ो ग्रामों की योजना है, अगर सभी ग्रामों में अलग – अलग निविदा की जाती है तो इसमें स्थानीय ठेकेदार भी सम्मिलित होकर स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करेंगे जिससे विभाग वा सरकार को करोडो रुपये की धनराशी की बचत होगी|
7. विगत दो वर्षो से समस्त ठेकेदार एवं उनसे सम्बंधित समस्त मजदूर covid-19 के कारण बेरोजगार हो गए थे तथा इसके तुरंत बाद सरकार की गलत नीतियों के चलते समस्त कार्य बड़ी कम्पनियों को दे दिया गया जिससे ठेकेदार एवं मजदूरो के समन एजीवन यापन का कोई विकल्प नहीं बचा है|
8. पूर्व के ठेकेदार का जाल निगम में पंजीकरण बहाल किये जाए तथा हर गाँव के कार्यों की निविदा अलग अलग किये जाए जिससे सभी वर्ग के ठेकेदार निविदा में शामिल हो सके|
9. पूर्व में इन्ही कंपनियों को सिवार्क एवं पेयजल का कार्य दिया गया है जो लगभग 10वर्ष पूर्ण हों जाने के पश्चात भी पूर्ण नही कराया जा सका है तथा सरकार द्वारा इन्ही कम्पनियों को पुनः कार्य दिया जा रहा है जबकि स्थानीय ठेकेदारों द्वारा कोई भी कार्य ससमय पूर्ण करा दिया जाता है|
10. ठेकेदार का पूर्व में जाल निगम विभाग पर लंबित बिलों का भुगतान कराया जाए|
11. जनपद वाराणसी में पूर्व में किये गए कार्यों की दरोंएवं वर्तमान में एल एंड टी को दिये गए दरों में भरी अंतर है जिसका तुलनात्मक विवरण इस विज्ञापित के साथ सलंग्न है| जिससे स्पष्ट है की एल एंड टी की दरे काफी अधिक डी गयी है|
ठेकेदार संघर्ष समिति के लोगो ने यह भी मांग की है की
अगर प्रदेश सरकार हमारी मांगो पे विचार नही करती है तो हमारी समिति प्रधानमंत्री
मोदी वाराणसी दौरे तक यानि की 8 दिसंबर से लेकर 13 दिसंबर तक क्रमिक अनशन करेगी और अपना ज्ञापन माननीय प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी जी से मिलकर उनको अपना ज्ञापन सौपेगी अगर हमें प्रधानमत्री जी से
नही मिलने दिया गया तो हमारा अनशन आगे भी जारी रहेगा|
उपरोक्त बिन्दुओ पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर निर्णय
लेने की मांग की गयी है, जिससे पूरे प्रदेश के लगभग 40 हजार ठेकेदारों एवं उनसे
जुड़े लाखों श्रमिकों के आजीविका पर आये संकट से बचने की मांग की गयी है| ज्ञापन देने
वाले में प्रमुख रूप से राधेश्याम गोयल, मयंक सिंह, सुदर्शन सिंह, महेंद्र पटेल,
युवराज गुप्ता, कमलेश सिंह, शैलेन्द्र सिंह, सतीश जायसवाल, अनिल यादव, अशोक
तिवारी, सतेन्द्र सिंह, संजय यादव, अनिल पाण्डेय, अरबिंद पाठक, सत्येंद्र पटेल,
संतोश यादव आदि लोग सम्मिलित हुए|
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