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Tuesday, December 26, 2023

शौर्य की पराकाष्ठा के सामने कम आयु मायने नहीं रखता - दिलीप पटेल

वाराणसी: मुगलों के आगे नतमस्तक नहीं होने का प्रण लेने वाले नन्हे साहबजादों की वीरता को नमन करने के लिए देशभर सहित प्रदेश भर में मंगलवार को सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह के पुत्रों के सर्वोच्च बलिदान और साहस की स्मृति में वीर बाल दिवस मनाया गया। भारतीय जनता पार्टी, महानगर द्वारा वीर बाल दिवस के अवसर पर गुरुबाग स्थित गुरुद्वारे में सायंकाल आयोजित गुरूवाणी और संकीर्तन का आयोजन किया गया साथ ही इसके पूर्व गुलाब बाग सिगरा कार्यालय में संगोष्ठी का भी आयोजन हुआ।


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गुरूबानी व संकीर्तन

गुरुबाग स्थित गुरुद्वारा में आयोजित समारोह में क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप सिंह पटेल ने कहा कि पीएम मोदी की प्रेरणा और आदेश से गत वर्ष प्रदेश सरकार ने साहिबजादों के बलिदान दिवस को वीर बाल दिवस के रूप में मान्यता दी और आज हम सब इस समारोह में अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए यहां एकत्रित होकर गुरुबाणी और भजन कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने कहा कि वीर साहबजादों ने अपनी पराकाष्ठा से धर्म की रक्षा के लिए अपना जीवन का बलिदान दिया, दूसरा धर्म कबूल करने से इनकार कर दिया, ऐसे वीर बालकों को हम सभी श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। यह दिन याद दिलाता है कि शौर्य की पराकाष्ठा के सामने कम आयु मायने नहीं रखता।

प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री डॉ दयाशंकर मिश्र 'दयालु' ने कहा कि बच्चों की इतनी छोटी उम्र में पूरी दुनिया में शायद किसी ने ही शहादत दिया हो, यह दिन पूरे भारत के लिए, हम सब के लिए एकदम अलग दिन है। विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी ने कहा कि वीर बाल दिवस भारतीयता की रक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरने के संकल्प का प्रतीक है। इस मौके पर पीएम मोदी ने वीर बच्चों का भी सम्मान किया, जिन्होंने जान की बाजी लगाकर अपने स्वजनों और मित्रों की जान बचाई। इस सम्मान का मुख्य उद्देश्य देशवासियों में राष्ट्र निर्माण के लिए योगदान एवं मूल्यों को स्थापित करना और सुदृढ़ बनाना है।

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विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने कहा कि वीर साहबजादों से पूरा देश प्रेरणा ले रहा है। जब अन्याय और अत्याचार का घोर अंधकार था, तब भी निराशा को पल भर के लिए भी हावी नहीं होने दिया। जिला अध्यक्ष एवं एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा ने कहा कि वीर साहबजादों ने स्वाभिमान के साथ अत्याचारों का सामना किया। हर आयु के हमारे पूर्वजों ने सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्होंने अपने लिए जीने के बजाय इस मिट्टी के लिए मरने का संकल्प लिया।

इस दौरान मुख्य रूप से गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारी के साथ क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप सिंह पटेल, प्रदेश कोषाध्यक्ष मनीष कपूर, क्षेत्रीय महामंत्री अशोक चौरसिया, जिलाध्यक्ष एवं एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा, प्रभारी व एमएलसी अरुण पाठक, राज्यमंत्री डॉक्टर दयाशंकर मिश्र 'दयालु', विधायक डॉक्टर नीलकंठ तिवारी, विधायक सौरभ श्रीवास्तव, प्रेम प्रकाश कपूर, संतोष सोलापुरकर, नम्रता चौरसिया, नवीन कपूर, अशोक पटेल, संजय सोनकर, प्रवीण सिंह गौतम, सुरेश सिंह, इंजीनियर अशोक यादव, अभिषेक मिश्रा, डॉ गीता शास्त्री, मीडिया प्रभारी किशोर सेठ, पार्षद सिंधु सोनकर, पार्षद विवेक कुशवाहा, अभिनव पांडेय, शैलेंद्र मिश्रा, कुसुम पटेल, शोभनाथ मौर्य, रवि राय हिलमिल, मन्नू राय, नेहा कक्कड़, उषा अग्रहरि, सारिका गुप्ता, अजय प्रताप सिंह, कमलेश सोनकर, अजीत सिंह, बृजेश चौरसिया, किशन कनौजिया, नीरज जायसवाल, टिंकू अरोड़ा सहित सैकड़ो लोग शामिल रहे। 

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गुलाब बाग कार्यालय में हुआ संगोष्ठी का आयोजन

दिन में गुलाबबाग स्थित पार्टी कार्यालय में इस अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया इस दौरान डिजिटल प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। वीर बाल दिवस सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादे बाबा फतेह सिंह और जोरावर सिंह की शहादत के सम्मान में मनाया जाता है।

इस अवसर पर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 9 जनवरी 2022 को गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के दिन घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा। पंजाब में सिखों के धर्मगुरु श्री गुरु गोविंद सिंह के चार बेटे थे, उन्हें चार साहिबजादे खालसा कहा जाता था। गुरु गोविंद सिंह ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की। इसकी स्थापना सिखों को उनके धर्म के आधार पर भेदभाव की समाप्ति के उद्देश्य से की गई थी। गुरु गोविंद सिंह की तीन पत्नियों से चार बेटे थे - अजीत, जुझार, जोरावर और फतेह, जो सभी खालसा का हिस्सा थे। उन चारों को 19 साल की उम्र से पहले ही मुग़ल सेना ने मार डाला था।

मुख्य वक्ता वाराणसी जिला एवं महानगर प्रभारी एमएलसी अरुण पाठक ने कहा कि साहिबज़ादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह सिख धर्म के दो सबसे प्रसिद्ध शहीद है। औरंगजेब के निर्देश पर सन 1704 में मुगल सेना ने आनंदपुर साहिब को घेर लिया। इस घटना में गुरु गोविंद सिंह के दो पुत्रों को कैद कर लिया गया और उनके सामने यह शर्त रखी गई कि यदि वह इस्लाम कबूल कर लेते हैं तो उन्हें नहीं मारा जाएगा। धर्मांतरण के इस प्रस्ताव को अस्वीकार करने के बाद दोनों साहबजादों को मौत की सजा दी गई और ईंट की दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया। इन दोनों शहीदों ने धर्मांतरण की बजाय मौत को गले लगा लिया।

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विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने कहा कि जब तक हमने अपने विरासत का सम्मान नहीं किया तब तक दुनिया ने भी हमारी विरासत को भाव नहीं दिया। आज जब हमने अपनी विरासत पर गर्व करना शुरू किया है तब दुनिया का नजरिया भी बदला है। गोष्ठी का संचालन महामंत्री नवीन कपूर, धन्यवाद ज्ञापन अध्यक्षता वरिष्ठ उपाध्यक्ष आत्मा विश्वेश्वर ने दिया।

गोष्ठी में मुख्य रूप से राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल, वाराणसी प्रभारी अरुण पाठक, विधायक सौरभ श्रीवास्तव, आत्मा विश्वेश्वर, डॉक्टर गीता शास्त्री, अभिषेक मिश्रा, नवीन कपूर, जगदीश त्रिपाठी, अशोक पटेल, मीडिया प्रभारी किशोर सेठ, योगेश सिंह पिंकू, शोभनाथ मौर्या, कुसुम पटेल, किशन कनौजिया, विवेक मौर्य, शैलेंद्र मिश्रा, अभिनव पांडेय, हरि केसरी, प्रीति पुरोहित, आरती पाठक, प्रज्ञा पांडेय, कमलेश शुक्ला, रवि राय हिलमिल, अजीत सिंह, कमलेश सोनकर अधिक कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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