लखनऊ: यूपी को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए योगी सरकार हर मुमकिन कोशिश कर रही है. इसके लिए योगी सरकार एक और बड़ा प्लान लेकर आई है. सूबे की सड़कों पर ट्रैफिक लोड कम करने के लिए हर प्रयास किए जा रहे हैं. सड़क पर बढ़ते ट्रैफिक लोड से निजात दिलाने के लिए सरकार टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हुए एकीकृत सड़क नेटवर्क के विकास की दिशा में कदम बढ़ा रही है. नगरीय निकायों में सड़कों पर बढ़ते बोझ को कम करने के लिए योगी सरकार एकीकृत सड़क नेटवर्क के विकास की दिशा में कदम बढ़ा रही है. योजना का उद्देश्य एकीकृत हरित सड़क का विकास समेत कम कार्बन उत्सर्जन के साथ कॉस्ट इफेक्टिव सड़क का निर्माण करना है.
सड़कों का होगा
चौड़ीकरण
इसके माध्यम से नगरीय क्षेत्रों में सड़कों का
चौड़ीकरण किया जाएगा और प्रत्येक नागरिक के आवागमन को सुगम बनाया जाएगा. इस प्रकार
की सड़कों के प्रभावी विकास के लिए नगर विकास विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2013-14 से संचालित नगरीय सड़क सुधार योजना को अधिक प्रभावी बनाते हुए एक प्रोत्साहन
आधारित योजना "मुख्यमंत्री ग्रीन रोड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम
(अर्बन)" के रूप में किया जाना प्रस्तावित है। इससे नगरीय निकायों को आर्थिक
स्वायत्ता प्राप्त करने में प्रोत्साहन प्राप्त होगा.
तेजी से होगा
विकास
परिवहन गतिशीलता को बढ़ावा देना, सुरक्षित सड़कें
एवं चौराहों का विकास, सृजित परिसंपत्तियों का रख-रखाव एवं प्रबंधन
करना, नगरीय निकायों को आर्थिक रूप से स्वायत्त बनाने का प्रयास करना और सड़कों को
सुगम योजनाओं के उद्देश्यों के साथ समाहित करना ही इसका मकसद है. प्रस्तावित योजना
परिवहन प्रणाली तक आसान पहुंच व गतिशीलता, सभी के लिए सड़क, सड़क स्थानों का
अभिनव उपयोग, हितधारक एवं नागरिक भागीदारी जैसे सिद्धांतों पर आधारित है.
आवंटन की शर्त
करनी होगी पूरी
प्रस्ताव के अनुसार सीएम ग्रिड्स योजना का लाभ
पाने के लिए नगरीय क्षेत्रों को भी पात्रता एवं निधि आवंटन की शर्तों को पूरा करना
होगा. इसके अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में अपने राजस्व संग्रहण
में कम से कम 10 प्रतिशत की वृद्धि करने वाले नगर निकाय योजना के अंतर्गत अनुदान प्राप्त करने
के लिए पात्र होंगे. नगरीय निकायों द्वारा पिछले वर्ष की तुलना में अपने राजस्व
संग्रहण की धनराशि में जितनी वृद्धि की जाएगी उसका दोगुना अनुदान उस निकाय को
सड़कों के विकास के लिए दिया जाएगा, लेकिन अनुदान की धनराशि एक वित्तीय वर्ष में ₹100.00 करोड़ से अधिक नहीं होगी
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