उत्तर प्रदेश में नई सरकार का गठन होते ही एक बार फिर जगहों के नाम बदलने वाली राजनीति शुरू हो गई है. इस बार फर्रुखाबाद का नाम बदलने की मांग उठी है. फर्रुखाबाद से बीजेपी सांसद मुकेश राजपूत (Mukesh Rajput) ने फर्रुखाबाद (Farrukhabad) का नाम बदलकर पांचालनगर करने की मांग की है. उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को लेटर लिखा है.
'पांचालनगर' रखने की मांग
उन्होंने द्रौपदी के नाम पर जिले का नाम बदलकर पांचालनगर करने की मांग की है. साथ ही कहा कि फर्रुखाबाद का मौजूदा नाम मुगलकालीन है. तीन नदियां गंगा, रामगंगा और काली नदी के बीच बसे फर्रुखाबाद का इतिहास पैराणिक काल से समृद्ध है. उस समय यह पांचाल क्षेत्र कहलाता था. यह शहर पांचाल राज्य की राजधानी हुआ करती थी. फर्रुखाबाद की स्थापना से पहले ही यहां कंपिल, संकिसा, श्रंगारामपुर और शमसाबाद प्रसिद्ध थे.
मुगल शासक ने बदला था जिले का नाम
सांसद मुकेश राजपूत ने आगे लिखा है कि राजा द्रुपद की राजधानी कंपिल में ही राजकुमारी द्रौपदी का स्वयंवर हुआ था और राजा द्रुपद की सेना छावनी शहर में निवास करती थी. आज यहां दो बड़े रेजीमेंट्स हैं, एक राजपूत रेजीमेंट और सिखलाई रेजीमेंट. साथ ही उन्होंने अपनी चिट्ठी में लिखा कि मुगल शासन फर्रुखशियर ने 1714 में भारत की पौराणिक संस्कृति को नष्ट करने के उद्देश्य से इस ऐतिहासिक नगर का नाम अपने नाम के आधार पर बदलकर फर्रुखाबाद कर दिया था.
'गली-गली में शिवालय'
सांसद ने फर्रुखाबाद को हिंदू और जैन धर्म के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभ देव ने यहां पहला उपदेश दिया और 13वें तीर्थंकर भगवान विमलनाथ जी के चारों कल्याण गर्भ, जन्म, शिक्षा, और ज्ञान भी यहीं हुए थे. महात्मा गौतम बुद्ध का स्वर्गावातरण भी विश्व प्रसिद्ध संकिसा में हुआ था. संकिसा में श्रीलंका, कंबोडिया, थाईलैंड, वर्मा, जापान आदि कई देशों के बड़े बड़े बौद्ध विहार बने हुए हैं. काशी की तरह गली-गली में शिवालय होने के कारण इस नगर को अपराकाशी के नाम से भी जाना जाता है. कलयुग के हनुमान कहे जाने वाले बाबा नीमकरोरी महाराज जी की तपोस्थली भी इसी जनपद में है.
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