योगी की पार्ट-1 सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण और दिव्यांग जन मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री रहे विधायक अनिल राजभर को एक बार फिर योगी सरकार 2.0 में मंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई है. शिवपुर सीट से दोबारा जीत के बाद अनिल राजभरॉ को दोबारा उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. इस बार अनिल राजभर ने सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर को हराया. अनिल राजभर वाराणसी में शिवपुर विधानसभा से दूसरी बार विधायक बने हैं.
अनिल
राजभर के घर में जश्न का माहौल
योगी मंत्रिमंडल के पार्ट-2 में जैसे ही अनिल राजभर का नाम पुकारा
गया उनके समर्थक काफी खुश हुए और एक-एक करके सभी लोग सकलडीहा कस्बा स्थित उनके
पैतृक आवास पर पहुंचने लगे. इस दौरान पहले उनके भाई को बधाई दी. आपको बताते चलें कि अनिल
राजभर योगी के पहले मंत्रिमंडल में भी कैबिनेट मंत्री रहे थे. दूसरी बार कैबिनेट
मंत्री पद की शपथ लेने वाले वाराणसी के शिवपुर विधानसभा से विधायक और जिले के
सकलडीहा कस्बे के निवासी अनिल राजभर के घर जश्न का माहौल है.
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स्थानीय
लोग काफी संख्या में अनिल राजभर के घर पहुंचे और उनके बड़े भाई को बधाई दी. साथ ही
मिठाई खिलाकर एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया. वहीं डीजे पर भाजपा के बजते गीत पर लोग
खूब जमकर नाचे.
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छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में शुरू किया
राजनीतिक करियर
अनिल राजभर मूलरूप से जिले की
सकलडीहा तहसील के नागेपुर कस्बे के रहने वाले हैं. उन्होंने सकलडीहा डिग्री कॉलेज
के छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की. उसके बाद वे
समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे. अनिल राजभर का विवाह 1997 में उषा राजभर से हुआ. उनके एक बेटा और
दो बेटियां हैं. अनिल राजभर के पिता रामजीत राजभर भी बीजेपी के टिकट पर धानापुर और
चिरईगांव विधानसभा से विधायक रह चुके थे.
1994 में बने छात्रसंघ अध्यक्ष
अनिल राजभर ने सकलडीहा पीजी कॉलेज
से छात्रनेता के तौर पर अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था. 1994 में छात्रसंघ अध्यक्ष बने. इसके बाद
जिला पंचायत सदस्य चुने गए. 2003 में पिता के देहांत के बाद अपने पिता के सीट पर उपचुनाव लड़े, लेकिन चुनाव हार गए.
2017 के
विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उनको वाराणसी जिले के शिवपुर विधानसभा से टिकट दी, जहां से अनिल राजभर विधायक चुने गए. वहीं 2009 लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने
पहले अनिल राजभर को चंदौली लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया लेकिन बाद में उनकी
जगह रामकिसुन यादव को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया था जिसको लेकर काफी हंगामा भी
हुआ था.
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