केंद्र
सरकार ने आम लोगों को महंगाई से बड़ी राहत देने के लिए दिवाली की पूर्व संध्या पर
महत्वपूर्ण कदम उठाया। ईंधन के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद केंद्र सरकार ने
बुधवार को पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में क्रमश: 5 रुपये और 10 रुपये की कटौती की। इसके बाद सीएम
योगी आदित्यनाथ ने उच्चस्तरीय बैठक की। इसमें राज्य सरकार ने भी उत्तर प्रदेश में
पेट्रोल पर 7 रुपये
और डीजल पर दो रुपये कम करने का फैसला किया। इस तरह उत्तर प्रदेश में डीजल 12 रुपये और पेट्रोल भी 12 रुपये सस्ता हो गया है। यह
फैसला गुरुवार से लागू होगा।
केंद्र सरकार की इस घोषणा से
ईंधन की आसमान छूती कीमतों को नीचे लाने में मदद मिलेगी और महंगाई की मार झेल रहे
आम आदमी को भी कुछ राहत मिलेगी। उत्पाद शुल्क में कमी 4 नवंबर
से प्रभाव में आएगी। इसके साथ पेट्रोल की कीमत दिल्ली में मौजूदा 110.04 रुपये प्रति लीटर से घटकर 105.04 रुपये प्रति लीटर जबकि डीजल
की कीमत 98.42 रुपये प्रति लीटर से घटकर 88.42 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी।
वित्त
मंत्रालय ने एक बयान जरी करते हुए कहा, भारत सरकार ने गुरुवार से
पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में क्रमश: 5 रुपये
और 10 रुपये की कमी करने का एक
महत्वपूर्ण फैसला किया है। इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आएगी। हाल के
महीनों में कच्चे तेल की कीमतों में वैश्विक स्तर पर उछाल देखा गया है। इस वजह से
हाल के हफ्तों में पेट्रोल और डीजल की घरेलू कीमतों में वृद्धि हुई है, जिससे
मुद्रास्फीति संबंधी दबाव बढ़ गया है।
उत्तर प्रदेश में पेट्रोल पर
मौजूदा वैट 17.74 रुपये प्रति लीटर है। सात
रुपये प्रति लीटर कम होने पर पेट्रोल पर वैट 10.74 रुपये प्रति लीटर लगेगा। इसी
तरह डीज़ल पर वैट प्रति लीटर 10.41 रुपये है। इस पर 2 रुपये
कम होने पर ये अब 8.41 रुपये प्रति लीटर हो जाएगा।
यह
उत्पाद शुल्क में की गई अब तक की सबसे अधिक कमी है। इसके साथ मार्च 2020 से मई 2020 के बीच पेट्रोल एवं डीजल पर
करों में 13 रुपये और 16 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि का एक हिस्सा वापस ले लिया गया है।
उत्पाद शुल्क में उस समय की वृद्धि से पेट्रोल पर केंद्रीय कर 32.9 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.8 रुपये प्रति लीटर के उच्चतम
स्तर पर पहुंच गया था।
इस मुद्दे पर लगातार हमलावर था विपक्ष
ईंधन की कीमतों में लगातार हुई वृद्धि की विपक्षी दलों ने कड़ी
आलोचना की थी। खासकर कांग्रेस ने आलोचना करते हुए केंद्र सरकार से उत्पाद शुल्क
वापस लेने की मांग की थी। अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के बाद
देशभर में खुदरा दरों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद उत्पाद शुल्क में कमी की
जा रही है। जहां सभी प्रमुख शहरों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर है, वहीं डीजल ने कई राज्यों में यह स्तर पार कर लिया है।
01 लाख करोड़ रुपये का राजस्व पर असर पड़ेगा
अप्रैल से अक्तूबर के खपत के आंकड़ों के आधार पर उत्पाद शुल्क में
कटौती से सरकार को प्रति माह 8,700 करोड़ रुपये के
राजस्व का नुकसान होगा। उद्योग सूत्रों के अनुसार, इससे सालाना आधार पर एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का असर पड़ेगा।
वहीं, चालू वित्त वर्ष की बाकी अवधि के लिए
प्रभाव 43,500 करोड़ रुपये का होगा।
कृषि क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी राहत
उत्पाद शुल्क में कमी से मोटर चालकों को राहत मिलेगी। ट्रकों और
कृषि क्षेत्र के लिए यह सबसे बड़ी राहत होगी, जो डीजल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। बयान के मुताबिक, किसानों ने अपनी कड़ी मेहनत से लॉकडाउन के दौरान भी आर्थिक वृद्धि
की गति को बनाए रखा। डीजल पर उत्पाद शुल्क में भारी कमी से उन्हें आगामी रबी सीजन
के दौरान प्रोत्साहन मिलेगा।
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