करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को सुहागिन महिलाएं अपना अखंड सौभाग्य बनाए रखने के लिए रखती हैं। यह व्रत इस बार रविवार यानी 24 अक्टूबर को पड़ रहा है। करवा चौथ पति और पत्नी दोनों के लिए अपार प्रेम, त्याग, उत्सर्ग की चेतना को लेकर आता है। इस दिन सुहागिनें दिनभर निर्जल व्रत रखकर शाम को चंद्रमा से अपने अखंड सुहाग के लिए आशीष मांगती हैं।
चंद्रमा को रात 7:52 बजे के बाद दें अर्घ्य
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री रामनारायण द्विवेदी के अनुसार वामन
पुराण में करक चतुर्थी व्रत का उल्लेख है। यह व्रत कार्तिक कृष्ण की चंद्रोदय
व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। चतुर्थी तिथि शनिवार 23 अक्टूबर को मध्य रात्रि के बाद 12:43 बजे से लेकर रविवार 24 अक्टूबर को मध्यरात्रि के बाद 2:51 बजे तक रहेगी। सुहागिन महिलाएं रात 7:52 बजे के बाद चंद्रमा को अर्ध्य
देंगी।
सौभाग्यवती होंगी सुहागिनें इन पांच राजयोगों की जुगलबंदी से
बीएचयू के ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार
पांडेय के अनुसार इस बार का करवा चौथ बेहद खास है। पांच योगों की जुगलबंदी
(शशमहापुरुष योग, उभयचरी
योग, शंख योग, शुभकर्तरी योग, विमल योग) सुहागिनों के अखंड सौभाग्य
को बढ़ाएंगे। इस वर्ष करवा चौथ का सूर्योदय भी सुहागिन महिलाओं के जीवन में ऊर्जा
का संचार करेगा।
चांद रोहिणी नक्षत्र में निकलेगा
बीएचयू के ज्योतिष
विभागाध्यक्ष प्रो. गिरिजाशंकर शास्त्री के अनुसार इस बार करवाचौथ पर कई विशिष्ट
संयोग बन रहे हैं। करवा चौथ का चांद इस बार रोहिणी नक्षत्र में निकलेगा। इस
नक्षत्र में व्रत रखना बेहद शुभफलदायी होता है। मान्यता यह भी है कि इस नक्षत्र
में चंद्र दर्शन से व्रती को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
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